भिण्ड। मध्यप्रदेश के भिण्ड में आचार्य श्री विशुद्व सागर जी महाराज ने कहा कि संत चाहे वह किसी भी संप्रदाय, जाति पंथ अथवा संघ का हो, जिसके अंदर प्राणी मात्र में जीव दया के भाव उत्पन्न न होते हो अथवा अनजाने में भी हुई हिंसा के प्रति करूणा भाग न जागे वह कैसा धर्मात्मा। बल्कि धर्मात्मा वह होता है जो प्राणी मात्र पर दया के भाव रखे। उन्होनें कहा कि प्राणी मात्र पर हर क्षण प्रीति व करूणा होना उसका नाम तीर्थंकर होता है। आचार्यश्री ने नशिया मंदिर में आज से प्रारंभ हुए जिन विंब पंचकल्याणक महोत्सव के अवसर पर घटयात्रा एवं ध्वजारोहण के पश्चात् जैन धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे।
जैनाचार्य ने कहा कि अपने को अपना देखकर तो हर कोई प्रीति दिखा सकता है। चाहे व जीव किसी भी गति का ही क्यों न हो, चाहे वह श्वान हो, बिल्ली हो, नेवला हो, घरे इत्यादि जीव से वह अपने बच्चों और जाति के जीवों पर तो प्रीति जरूर दिखाते है, लेकिन वास्तविकता की प्रीति तो तब देखना चाहिए जब एक घरे और गाय एक ही घाट पर पानी पीते दिखे, चाहे वह सांप-नेवला हो या बिल्ली और चूहा अथवा कुत्ता-बिल्ली हो,एक साथ खेलते हो उस समय समझ में आती है प्रीति की परिभाषा। आचार्यश्री ने कहा कि देश के समांत पंतों के साधु समाज में वात्सल्य की प्रीति दिखाई देनी चाहिए नही तो आने वाले समय में लोगों में साधुओं के प्रति अश्रद्धाभाव उत्पन्न होने लगेगा। राष्ट्रसंत ने कहा कि आज का व्यक्ति काल के दोष को मानते हुए इतिश्री कर रहा है,लेकिन उसका सेाचना यह गलत है क्योंकि काल का कोई दोष नही होता है बल्कि बुद्धि का दोष होता है। उन्होनें कहा कि यह माना जा सकता है कि काल के प्रभाव से चक्रवर्ती, तीर्थंकर, सर्वार्थसिद्वि के देव या काल में नही हो सकते, लेकिन इस काल में समस्त पंतों के साधक समाज हित में सर्वज्ञ का उपदेश तो दे सकते है। उन्होनें कहा कि उदाहरण देते हुए कहा कि देश के समस्त साधुओं को पचनदा नदी के पास जाकर बैठना चाहिए, और सीख लेनी चाहिए कि जिस प्रकार पचनदा नदी जड हाने के बाद भी एक साथ बह सकती है तो देश का साधु समाज एक होकर क्यों नही रह सकता।
भिण्ड। नशिया जी मंदिर में नवनिर्मित नंदीश्वर द्वीप जिनालय के होने वाले पंचकल्याणक प्राण प्रतिष्ठा महोत्स्व के प्रारंभ में आचार्य विशुद्व सागर जी महाराज के मंगल आर्शीवाद से प्रतिष्ठा चार्य पं.जयकुमार निशांत के सानिध्य में प्रारंभ हुए।
मीडिया प्रभारी मुकेश जैन एडवोकेट, रिषभ अडोखर ने बताया कि पंचकल्याणक की श्रृंखला में प्रतिष्ठाचार्य के निर्देशानुसार प्रातः शहर में घटयात्रा जुलूस प्रारंभ हुई जिसमें महोत्सव में बने सभी पात्र सहित 56 कुंवारी एवं सौभाग्यवती महिलाओं द्वारा शहर का हाथी, घोडे और बाजों के साथ शहर भ्रमण के दौरान नशिया मंदिर में पहुंचा,जहां पर मंगल कलश की स्थापना की जाकर श्रीमती स्वाति-विवेक जैन इंदौर द्वारा धवजारोहण किया गया। घटयात्रा में हाथी पर सवार होकर महावीरप्रसाद, बच्चीलाल जैन पन्ना जैन भिण्ड भाग लेकर चल रहे थे।
——-