रावतपुराधाम लहार जिला भिण्ड । आधुनिक युग तुलसी राष्ट्रीय संत और भारत के मानस मर्मज्ञ मुरारीबापू ने पूज्य व्यासपीठ से विश्व के दो महान व्यक्तियों के जन्म दिन पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि आज देश के पूर्व प्रधानमंत्री एवं भारत रत्न पंडित अटल बिहारी बाजपेयी का जन्मदिन है। उन्हें व्यासपीठ से नमन करता हूं। वह मधुर व्यक्तित्व के धनी थे। पंडित अटल बिहारी बाजपेपयी के यह विचार भारत को लेकर मेरी एक दृष्टि है ऐसा भारत जो भूख, भय, निरक्षरता और अभाव से मुक्त हो। उनका भारत के प्रति प्रेम दिखाते हैं। उन्होंने कहा आज जीसस क्राइस्ट का भी जन्मदिन है, लेकिन उनके तथाकथित अनुयायियों ने प्रलोभन, आतंक, चमत्कार दिखाकर जिस तरह देश में धर्मान्तरण किया। जीसस के अनुयायियों ने यह कार्य बहुत किया। यह गलत है जिसकी मैं निन्दा करता हूं। जीसस ने अपने जिंदा रहते हुए कभी कोई ऐसा कार्य नहीं किया। उन्होंने कहा कि आज हमें हिन्दुस्तान के कुछ राज्यों में जाते हैं तो वहां कहा जाता है कि यू कम इंडिया इसलिए मैं देश के महात्माओं संतगणों से निवेदन करता हूं कि वह नागालैण्ड, मिजोरम जैसे राज्यों में भी अपने धार्मिक प्रवास करें। मैं भी अब उत्तरपूर्वी राज्यों में रामकथा सुनाने जाऊंगा। उन्होंने कहा एक बार यूरेस्लिम गया वहां जीसस के चर्च पर जाकर मैंने पादरी से पूछा कि उनकी कब्र कहां है वह उत्तर देने में संकुचित हुए। जीसस ने अंतिम समाधि कश्मीर में ली। यह उनकी कब्र पर हिब्रो में लिखा हुआ है। पूरे विश्व में हिन्दुस्तान जैसा देश नहीं है। इस अवसर पर उन्होंने सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा की संगीतमयी प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा कि जीसस कहते थे मैं परमात्मा का पुत्र हूं हम सब एक पिता की संतान हैं यह तो गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस में कहा पृथक आचरण, पृथक धर्म, पृथक विचार लेकिन पिता एक मानस का है। जीसस की मॉ मैरी को देखो उनकी शिल्प कृति विश्व की बेजोड कृति है आज मैं जीसस को भी व्यासपीठ से बधाई देता हूं। मोहब्बत द्वेष से नहीं दिल से होती है। दीर्घायु की कामना भारत के मनीषियों ने की। यह तो भारतीय महान विचार हैं। उन्होंने कहां कि महात्मा गांधी कहा करते थे कि मैं पक्का हिन्दूवादी हूं लेकिन कौम वादी नहीं इस अवसर पर रामकथा का संचालन पंडित रमाकान्त व्यास ने किया। इस अवसर पर आज मुख्य रूप से उपस्थित कुलपति पीपी सिंह, एड. अवधेश सिंह कुशवाह एवं कांग्रेस नेता अशोक चौधरी ने पूज्य व्यासपीठ पर पुष्प अर्पित कर आरती में भाग लिया।
शीतलहर सहन करने के लिए सबको प्रणाम
आज संत मुरारी बापू अनन्त विभूषित पूज्य महाराज रविशंकर (रावतपुरा सरकार) कर्मयोगेश्वर के साथ पूज्य व्यासपीठ पर पहुंचे। इस अवसर पर वेद शिक्षा ग्रहण कर रहे शिक्षार्थियों ने शंख, घण्टे, घडियाल बजाकर पूज्य बापू का स्वागत किया। रामकथा की शुरूआत वेदपाठ आ नो भद्रा: क्रतवो के साथ हुई। अनन्त विभूषित पूज्य महाराज रविशंकर जी (रावतपुरा सरकार) कर्मयोगेश्वर ने रामकथा को आम भक्तों के बीच बैठकर सुना संतश्री मुरारी बापू ने रामकथा की शुरूआत सियाराम, सियाराम, सियाराम, सिय, सिय श्रीराम के साथ की। इसके बाद उन्होंने हनुमान चालीसा का संगीतमय पाठ किया। उन्होंने कहा कि इस पावन रावतपुरा हनुमान जी के चरणों में प्रणाम करते हुए पवन तनय हनुमान के साथ इस स्थान के परमपूज्यनीय रविशंकर जी रावतपुरा सरकार के चरणों में प्रणाम करता हूं। यहां उपस्थित सभी पूज्य संत विद्वानगण और भक्तगणों को व्यासपीठ से आज शीत लहर सहन करने के लिए मेरा प्रणाम जय श्रीराम।
गुरूदेव आपने तो चमत्कार कर दिया
उन्होंने कहा माता सीता शांति की प्रतीक थी और लंका आसुरी प्रवत्ति का प्रतीक है आसुरी प्रवत्ति का प्रतीक भारत की शांति को ले गया और भारत सोता रहा। उन्होंने कहा जहां जहां आश्रम हों वहां पवित्र जल होना चाहिए। अन्न क्षेत्र होना चाहिए। वृक्षों की श्रृंखला होनी चाहिए एवं ऐसी गौशाला हो जहां गौ माता की सेवा हो। उन्होंने कहा परमपूज्य गुरूदेव रविशंकर जी महाराज के आश्रम में आकर ऐसा लगता है आप वृक्ष ही नहीं इंसान उगा रहे हैं। वृक्ष मॉ पृथ्वी का श्रंगार हैं। यहां पर आकर रावतपुरा हनुमान जी एवं रामलक्ष्मण सीता जानकी बाद में दिखते हैं। पहले वृक्ष दिखते है वृक्षों की आड में हरिदर्शन होता है। मुझे जानकारी मिली है कि पहले यहां बिल्कुल बंजर भूमि थी रावतपुरा हनुमान जी और गुरू रविशंकर जी के आशीर्वाद से यहां पर वृक्षों की जो एक विशाल श्रृंखला खडी हुई है उसके लिए मैं गुरूदेव रविशंकर जी को बधाई देता हूं। गुरूदेव वास्तव में आपने तो इस क्षेत्र में चमत्कार कर दिया। उन्होंने उपस्थित भक्तगणों से आग्रह किया कि यहां से जाकर आप भी वृक्षारोपण करें और उनकी सेवा करें।
सनातन धर्म में अपार शक्ति है
पूज्य व्यासपीठ से राष्ट्र संतश्री मुरारी बापू ने कुछ पश्चिमी देशों के प्रसिद्ध व्यक्तियों के विचारों को विस्तार रूप से भक्तगणों के बीच रखा। पश्चिम के विचारक सनातन धर्म के बारे में क्या सोचते हैं। ली ऑफ कैस्टो कहते हैं भारत का सनातन धर्म हिन्दू और हिन्दुत्व एक दिन पूरी दुनिया पर छा जायेगा। यह वैभवशाली धर्म है। इसमें ज्ञान और बुद्धि दोनों का संयोजन है इसमें विचार और मंत्र भी हैं । सनातन धर्म में विशाल विचारधारा है। सनातन धर्म में हर पंथों को स्नेह से देखा जाता है। हावर्ट वैल्स 1846-1946 यह कहते हैं जब तक भारतीय सनातन धर्म का परचम पूरे विश्व में नहीं फहरायेगा तब तक पूरी पीडियों को अत्याचार सहना करना पडेगा। प्रसिद्ध वैज्ञानिक अलबर्ट आईन्सटीन के विचार थे सनातन धर्म में बुद्धि और मानवता के माध्यम से जो कार्य किया वो कार्य पष्चिम के लोग भी नहीं कर सकते सनातन धर्म में बहुत शक्ति है उससे विश्व भर में शांति आ सकती है। उदार हिन्दुत्व का विचार भारतीय सनातन धर्म में ही है। माइकल नास्त्रे 1503-1566 इनके विचार थे कि सनातन वैभव परम्परा हिन्दुत्व से पूर्ण है। यह यूरोप में भी छायेगा मैं यह कोई भविष्यवाणी नहीं कर रहा यूरोप के किसी प्रसिद्ध शहर में सनातन धर्म की पताका फहर गई है। रसैल के विचार थे मैंने हिन्दुस्तानी सनातन विचार धारा को पढा और जाना है पूरी दुनिया के मानव को मानवता देने में इसके सिवाय कोई विचारधारा नहीं है सनातन विचारधारा ही यूरोप को जाग्रत करेगी। पूरी दुनिया को इस विचारधारा को समझने के लिए तैयार रहना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि पहले विचार को समझने के लिए शताब्दी लगती थी लेकिन वैज्ञानिक युग के कारण अब विचार क्रांन्ति दषकों में हो जाती है।
हनुमान जी की बाल लीलाऐं विशिष्ट है
संतश्री मुरारी बापू ने हनुमान जन्म के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि इन्द्र के महल में इन्द्र, इन्द्राणी गंधर्व बैठे हुए थे इसी अवसर पर अप्सरा शिरोमणी पुजिक स्थला का नृत्य चल रहा था। उसी समय देवर्षि दुर्वाषा का आगमन होता है इन्द्र सपत्नीक अपने सिंहासन से खडे हो जाते है और दुरभाषा ऋषि को प्रणाम करते है। अप्सरा शिरोमणी पुजिक स्थला ने अहंकार के कारण दुर्वाषा ऋषि को प्रणाम तक नहीं किया उसको श्राप दिया। धरती पर जाकर एक नारी के रूप में जन्म ले अप्सरा को अपनी गलती का अहसास हुआ। उन्होंने कहा कि दुर्वाषा के मुंह से जो शब्द निकल गये वो वापस नहीं आ सकते तू भारत की धरती पर जन्म लेगी तेरा पिता और तेरा पुत्र सबसे सुंदर होंगे। तुने माफी मांगी है इसलिए तू कुरूप तो नहीं होगी पर श्राप का असर रहेगा। अप्सरा शिरोमणी पुजिक स्थला ने कुंजर की बेटी अंजना के नाम से जन्म लिया। कुंजर का दूसरा नाम हाथी है। अंजना की शादी केसरी से हुई पिता ने पुत्री को विदा किया। कृष्णपक्ष के दूसरे दिन सूर्य ग्रहण का दिन था इसमें विभिन्न मत हैं एक अद्भुत बालक का जन्म हुआ जामवन्त ने यह कथा रघुपति को सुनाई हनुमन्त की बाल लीला मधुर लीला है। हनुमान जी जन्म के भूखे हैं उन्हें भूख लगी उन्होंने मां से पूछा यह आसमान में लाल क्या है यह सहस्त्रों प्रकाश पर्व भगवान सूर्य हैं। उन्होंने मॉ की गोद से छलांग लगाई और एक छलांग में सूर्य भगवान को मुंह में रख लिया। पूरे विश्व में अंधेरा छा गया। बापू ने कहा कि पृथ्वी पर अत्याचार, आतंक, भ्रष्टाचार बढ गया था पृथ्वी अकुला गई पृथ्वी ने गाय का रूप धारण कर देवों के पास गई। अब मुझसे इस पाप का वजन सहन नहीं होता सब देव मिलकर भगवान विष्णु के पास गये कि भगवान का धरती पर अवतरण हो परमात्मा के प्रागट्य के लिए सबने देव स्तुति करी। तब आकाश में आकाशवाणी हुई कि मैं महाराज दषरथ के यहां जन्म लूंगा। तब भगवान शिव ने देवताओं से कहा कि आप लोग वानर के रूप में धरती पर जाए राजा दशरथ पुत्र न होने के कारण बडे परेशान थे वह अपने गुरू वशिष्ट के पास गए। वशिष्ट ने सलाह दी कि आप कामेश यज्ञ करें। यह कथा भगवान शिव पार्वती को सुना रहे हैं। जिस दिन भगवान मॉ कौशल्या के गर्भ में आये सब जगह प्रसन्नता ही छायी थी सारे संसार में शगुन अनुकूल होने लगे पंचांग अनुकूल हुआ। राम के जन्म के समय सरयु नदी में अमृत बहने लगा खदानों से मणियां निकलने लगी आसमान से पुष्प वृष्टि होने लगी। कृपालू प्रगट हुए रोम रोम में ब्रम्ह्माण्ड में लटक रहा था मेरे देष का इतिहास परमात्मा को मानव बनाना सिखाता है। भये प्रगट कृपाला दीनदयाला……कौशल्या हितकारी…. और राम जन्म के अवसर पर पूरे अयोध्या में दिये जलायेे जाते है मिठाईयां बंटती है इस तरह भगवान श्रीराम का जन्म होता है।
संतश्री मुरारी बापू रामकथा के बाद अन्न क्षेत्र वितरण केन्द्र पर भी पहुंचे यहां उन्होंने श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण किया।
28 को मुख्यमंत्री कमलनाथ रामकथा में शामिल होंगे
मध्यप्रदेश सरकार के वाणिज्यकर मंत्री व्रजेन्द्र सिंह राठौर कल दिनांक 26 दिसम्बर को रामकथा में शामिल होंगे। एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ 28 दिसम्बर को रावतपुरा धाम में संतश्री मुरारी बापू की रामकथा में शामिल होंगे। यह जानकारी लोक कल्याण ट्रस्ट रावतपुरा सरकार द्वारा दी गई।