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इंदौर । कानूनी जिम्मेदारी संभालने के साथ अब पुलिस विभाग में तैनात अधिकारी कलम पर भी अपना हाथ आजमा रहे है। ऐसा ही कुछ कमाल कर दिखाया है, इंदौर के एएसपी डॉ. प्रशांत चौबे ने। जिन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विचारों पर स्मार्ट पुलिस को लेकर एक पुस्तक लिखी है।

ईमानदारी व मिलनसार व्यवहार के कारण सदैव जनता में लोकप्रिय रहने वाले पुलिस अफसर डॉ. प्रशांत चौबे द्वारा लिखित पुस्तक “स्मार्ट पुलिसिंग” का गुरुवार को दिल्ली में देश के गृह मंत्री अमित शाह, ग्रह राज्य मंत्री रेड्डी, होम सेक्रेटरी, आई बी चीफ व डी.जी बी पी आर डी द्वारा लोकार्पण किया गया। इसका प्रकाशन भी गृह मंत्रालय के ‘पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो’ द्वारा किया गया है। एएसपी डॉ. प्रशांत चौबे द्वारा लिखी गई किताब को पूरे देश के पुलिस प्रशिक्षण संस्थानों में पढ़ाई जाएगी।

यह किताब तीन खंड और 14 अध्यायों में लिखी गई है। यह किताब इसलिए भी खास है, क्योंकि स्मार्ट पुलिसिंग को लेकर यह दुनिया की पहली किताब है। इससे पहले इस तरह का कोई प्रयोग नहीं हुआ है। एएसपी चौबे की यह किताब प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दिए गए एक उद्बोधन पर आधारित है, जिसमें उन्होंने स्मार्ट पुलिस के बारे में कहा था कि आज के दौर की पुलिस एस – स्ट्रिक्ट एंड सेंसटिव (सख्त और संवेदनशील), एम – माडर्न एंड मोबाइल (सचेत और उत्तरदायी), ए – अलर्ट एंड अकाउंटेबल (सचेत और उत्तरदायी), आर – रिलायबल एंड रिस्पांसिव (भरोसेमंद और प्रतिक्रियाशील), टी- टेक्नोसेवी एंड ट्रेंड (तकनीकी रूप से सक्षम और प्रशिक्षित) होनी चाहिए। एएसपी चौबे को यह मौका स्मार्ट पुलिसिंग के प्रधानमंत्री के इसी कांसेप्ट के मुताबिक पुस्तक लेखन के लिए ‘गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार’ योजना के तहत पूरे देश से मंगाई गई प्रविष्टियों के आधार पर मिला। देश भर के पुलिस अधिकारियों ने गृह मंत्रालय के पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो को इस कॉन्सेप्ट पर किताब लिखने के लिए सिनोप्सिस भेजी थी। जिसमें डॉ. चौबे की सिनोप्सिस सर्वश्रेष्ठ पाई गई।

इंदौर में पदस्थ एएसपी (प्रोटोकाल एंड सिक्योरिटी) डॉ. प्रशांत चौबे पिछले 15 सालों से पुलिस विभाग में अपनी सेवाएं दे रहे है। उन्हें फिल्ड के साथ प्रदेश की 10 मेें से 7 जोन की पुलिसिंग का अनुभव है। एएसपी चौबे अब तक 100 से ज्यादा केस का खुलासा कर चुके है। इसके अलावा करीब 1000 कम्यूनिटी प्रोगाम्स भी उनके द्वारा किए गए है। एएसपी चौबे को इस किताब को लिखने के पीछे डेढ़ साल की मेहनत लगी। जिसमें उन्होंने अपने सभी अनुभवों का उपयोग करते हुए एक बेहरीन किताब की रचना की है।

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