भोपाल। मध्यप्रदेश में कोरोना के मरीजों का इलाज अब 237 बांडेड डॉक्टर करेंगे। राज्य सरकार ने यह फैसला डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की भारी कमी को देखते हुए ‎लिया है। डॉक्टरों की कमी को देखते हुए सरकार ने सरकारी मेडिकल कॉलेज जबलपुर और ग्वालियर से इंटर्नशिप पूरी करने वाले 237 एमबीबीएस डॉक्टरों को 15 दिन के भीतर ज्वाइन करने को कहा है। आदेश में साफ कहा गया है कि कोविड मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए अभी उनकी पदस्थापना कोविड मरीजों के इलाज के लिए लगाई जा रही है। बाद में उनके द्वारा दिए गए विकल्पों के आधार पर दूसरी जगह पदस्थापना का निर्णय लिया जाएगा। बता दें कि सरकारी कॉलेजों से पढ़ाई करने वाले एमबीबीएस छात्रों को एक साल के लिए अनिवार्य ग्रामीण सेवा बांड के तहत ग्रामीण क्षेत्र के अस्पतालों में सेवा देनी होती है। अपर संचालक प्रशासन सपना लोवंशी ने जारी आदेश में कहा है कि जिन जिलों में कोरोना के ज्यादा मरीज हैं, वहां पर ज्यादा डॉक्टरों की पदस्थापना इस आदेश के तहत की गई है। जिलों में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों (सीएमएचओ) के अधीन इनकी पदस्थापना रहेगी। सीएमएचओ जरूरत के अनुसार इन्हें जिला अस्पतालों के कोविड वार्ड, फीवर क्लीनिक, सैपलिंग में ड्यूटी लगा सकेंगे। भोपाल के हमीदिया और जेपी अस्पताल में यह हाल है कि पूरे कोविड वार्ड में ड्यूटी के लिए सिर्फ एक डॉक्टर आते हैं। छोटे जिलों में जिला अस्पतालों में तो पहले से ही डॉक्‍टरों की बहुत ज्यादा कमी है। ऐसे में कोरोना आइसीयू और आइसोलेशन वार्ड कुछ जगह चलाना ही मुश्किल हो रहा है। सूत्रों की माने तो प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में कोरोना मरीजों को इलाज करते हुए 10 से 15 फीसद चिकित्साकर्मी कोरोना से संक्रमित हो गए हैा इस वजह से भी स्टाफ की भारी कमी हो गई है। ऐसे में इटर्न‎शिप पूरी करने वाले छात्रों की पदस्थापना करने का फैसला लेना पडा हैा

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