भोपाल। देश की चर्चित लोकसभा सीट भोपाल पर जीत को लेकर दोनों ही प्रमुख दलों की ओर से दावे किए जा रहे हैं। नतीजे कल 23 मई को आएंगे। लेकिन इससे पहले भाजपा में यह चर्चा शुरू हो गई है कि यदि भोपाल लोकसभा सीट से प्रज्ञा ठाकुर चुनाव हारती हैं तो स्थानीय नेताओं की जिम्मेदारी तय होगी। क्योंकि चुनाव के बीच प्रदेश नेतृत्व ने भोपाल संसदीय क्षेत्र के भाजपा विधायकों को अपने-अपने चुनाव क्षेत्र से जिताने का दायित्व सौंपा था। इसके बावजूद भी यदि नतीजे विपरीत आए तो विधायक विश्वास सारंग, रामेश्वर शर्मा, कृष्णा गौर, विष्णु खत्री एवं सुदेश राय की जिम्मेदारी तय की जाएगी। क्योंकि ये विधायक 6 महीने पहले ही चुनाव जीतकर आए थे।
भोपाल संसदीय क्षेत्र में 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। जिनमें से पांच सीटों पर भाजपा का कब्जा है, जबकि तीन सीट कांग्रेस के पास हैं। छह महीने पहले हुए चुनाव में भाजपा और कांग्रेस की जीत का अंतर करीब 65 हजार का रहा है, जो कि पिछले चुनावों की अपेक्षा काफी कम है। भाजपा द्वारा साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को प्रत्याशी बनाए जाने के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं में उस तरह का उत्साह देखने को नहीं मिल रहा है, जितना पिछले चुनावों में रहा है। यही वजह है कि प्रज्ञा के चुनाव में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को उतरना पड़ा है। बाद में विधायकों को उनके चुनाव क्षेत्र तक ही सीमित कर दिया था।
भाजपा ने भोपाल जिला की शहरी एवं ग्रामीण इकाईयों का गठन भाजपा नेताओं की पसंद से की थी। अब चूंकि मंडल एवं निचले स्तर के पदाधिकारी चुनाव में उत्साह नहीं दिखा रहे हैं। ऐसे में विधायकों को ही अपना-अपना क्षेत्र जिताने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके बाद से नरेला विधायक विश्वास सारंग, हुजुर विधायक रामेश्वर शर्मा, गोविंदपुरा विधायक कृष्णा गौर, बैरसिया विधायक विष्णु खत्री, सीहोर विधायक सुदेश राय अपने चुनाव क्षेत्र तक सीमित हैं। खास बात यह है कि विधायकों के काम-काज की समीक्षा खुद प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे कर रहे हैं। वे मंडल स्तर पर बैठकें कर चुनावी फीडबैक ले रहे हैं।
भोपाल लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी हाईकमान ने प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे को कमान सौंपी गई थी। साथ ही मप्र भाजपा ने वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह हाड़ा को चुनाव प्रभारी बनाया गया। ये दोंनो नेता भोपाल भाजपा के नेताओं की सक्रियता पर बारीकी से नजर रखे हुए थे।