पन्ना ! प्याज हमेशा से ही सुर्खियों में रही है, कभी प्याज के ऊंचे दामों ने सरकारों को हिला दिया था और आम लोगों को लिये प्याज की ऊंची कीमत रूलाने लगी थी। लेकिन अब प्याज के घटते दामों ने भी संकट खड़ा कर दिया है। जिले के गुनौर विकासखण्ड अंतर्गत आने वाले गांव हरीरा में बीती रात प्याज के घटते दामों ने एक किसान को आत्महत्या के लिये मजबूर कर दिया। प्याज के नाम पर प्रदेश में पहली बार किसान ने अपनी जान दी। आम तौर पर फसल बर्बादी से आहत किसानों की आत्महत्या की खबरें आती रहीं हैं। लेकिन प्याज की बेहतर फसल होने के बाद भी किसानों को यह आत्मघाती कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ रहा है। गौरतलब है कि जिले के प्याज की खेती को हमेशा से ही लाभ का धंधा माना जाता रहा है। जिसके चलते अब प्याज उत्पादन में हजारों किसान कूद पड़े हैं। जिसके परिणाम स्वरूप प्याज की अत्याधिक पैदावार के चलते प्याज के दामों में भारी गिरावट दर्ज की गई। आलम यह है कि वर्तमान में प्याज 2 से 5 रूपये किलो में बमुश्किल बिक रही है। जिससे किसानों की लागत की भरपाई भी नहीं हो पा रही है। यही कारण है कि प्याज के दामों ने किसानों के लिये बड़ा संकट खड़ा कर दिया। जिले के ग्राम हरीरा निवासी गरीब किसान दशरथ ढ़ीमर पिता गबरू ढ़ीमर 48 वर्ष ने प्याज की फसल से अपनी किस्मत संवारने का सपना देखा था। इसके लिये दशरथ ने अपने आधे एकड़ के खेत में प्याज की फसल बोई थी। इतना ही नहीं गांव के तीरथ प्रसाद लोधी का एक एकड़ खेत भी किराये पर लेकर उसने प्याज की खेती की। पैदावार भी बेहतर हुई, लेकिन दाम कम होने से उसकी मेहनत बर्बाद हो गई। इसी बात से हताश किसान ने बीती रात अपने घर पर फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। सुबह जब लोगों को इस घटना की सूचना मिली तो पूरा गांव स्तब्ध रह गया। प्याज की खेती दशरथ के लिये जानलेवा साबित हुई। गांव के सरपंच जगमोहन सिंगरौल ने बताया कि दशरथ की तरह गांव के सैंकड़ों किसानों ने भी प्याज का उत्पादन किया था और सभी बर्बादी की कगार पर हैं। दशरथ की मौत के बाद सरपंच ने पुलिस को इस घटना की सूचना दी और सलेहा थाना पुलिस ने मौके पर पहुंचकर किसान के शव को उतारा और पोस्ट मार्टम के लिये भेज दिया। पुलिस ने घटना पर मर्ग कायम कर विवेचना में लिया है। लेकिन पूरे गांव में प्याज के चलते हुई मौत की खबर से शोक व्याप्त है।
जिले में भी कलेक्टर पन्ना ने 4 जून से प्याज की खरीदी प्रारंभ करा दी। इसके लिये जिला मुख्यालय के समीप जरूआपुर में निजी गोदाम में खरीदी केन्द्र बनाया गया है। प्याज की खरीद जिला विपणन संघ द्वारा की जा रही है। केन्द्र में उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों को प्याज की गुणवत्ता की निगरानी के लिये तैनात किया गया है। साथ ही किसानों को भुगतान उनके बैंक खाते में करने की व्यवस्था है। लेकिन आरोप है कि इन केन्द्रों में किसानों की पूरी फसल नहीं खरीदी जा रही। निगरानी के नाम पर किसानों की अधिकांश प्याज को बेकार बताकर हटा दिया जाता है। जिससे किसान खासे परेशान हैं। बताया जाता है कि शासन द्वारा किसानों की प्याज की गुणवत्ता जांच के नाम पर बेकार कर दी जाने वाली प्याज कहीं बिकने लायक भी नहीं रह जाती। यही कारण है कि जिले में प्याज खरीदी के लिये बनाये गये एक मात्र केन्द्र में भी किसान प्याज बेचने नहीं पहुंच पा रहे हैं। किसानों का कहना है कि शासन यदि किसानों की पूरी प्याज नहीं खरीदेगा तो समर्थन मुल्य का क्या फायदा। यही कारण है कि प्याज किसानों के लिये मुसीबत बन चुकी है और अब इस मुसीबत से छुटकारा पाने के लिये वे आत्मघाती कदम उठाने पर मजबूर हैं।
जिले में प्याज की बंपर पैदावार के लिये उद्यानिकी विभाग अपनी पीठ थपथपा रहा है। लेकिन प्याज के गिरे दामों ने किसानों को मुश्किल में डाल दिया है। विभाग द्वारा प्याज की समर्थन में मुल्य में खरीदी सही ढग़ से नहीं हो रही है। जिससे किसान हताश है। गौरतलब है कि पन्ना जिला उद्यानिकी मंत्री कुसुम महदेले का ग्रह जिला है। यहां उद्यानिकी फसलों की पैदावार से हताश किसान की आत्महत्या कई सवाल खड़े करती है। जिले में उद्यानिकी विभाग द्वारा एक भी कोल्ड स्टोर तक स्थापित नहीं किया जा सका है। जिससे स्थिति और खराब हो रही है। यदि जिले में कोई कोल्ड स्टोर होता तो किसानों को अपनी प्याज बेचने की इतनी जल्दी नहीं होती और उन्हें फसल के उचित दाम मिल सकते। संकट के इस दौर में किसानों को शासन से महज दिखावे का समर्थन मिल रहा है। यही यही हाल रहा तो आने वाले समय में किसानों के लिये खेती करना और भी मुश्किल हो जायेगा।
शासन के निर्देेश पर प्याज खरीदी केन्द्र स्थापित किया गया है और प्रत्येक किसान से प्याज खरीदी जा रही है। मैने स्पष्ट निर्देश दिये हैं कि सभी साइज की प्याज खरीदी जाये, जहां तक किसान के आत्महत्या की बात है, तो उसे और कोई कारण हो सकते हैं।
शिवनारायण सिंह चौहान, कलेक्टर पन्ना।