दतिया। मध्यप्रदेश के दतिया जिले के सेवढा में 11 जुलाई को कस्बा में हैडमास्टर बृजमोहन तिवारी के घर में उनकी पत्नी राधा और उनके 22 वर्षीय बेटे शैलेंद्र की धारदार हथियार से दिनदहाडे हत्या कर दी गई थी। इस घटना को 47 दिन हो गए। इस मामले में पुलिस ने हेडमास्टर के आसपास रहने वाले लोगों से लेकर उनके यहां आने जाने वाले मजदूरों से पूछताछ की लेकिन सुराग नहीं लगा। इधर पुलिस पर राजनीतिक पार्टियों और सामाजिक संगठनों का भी दबाव लगातार बढ रहा था। पिछले दिनों चंबलरेंज के आईजी डीपी गुप्ता ने सेंवढा पुलिस पर दोहरे हत्याकांड के खुलासे में लेटलतीफी पर जुर्माना भी लगाया था।
सेंवढा के मां-बेटे हत्याकांड के मामले में पुलिस को शंका है कि किसी लडकी को लेकर हत्याकांड को अंजाम दिया गया है। सुसाइड करने वाला संजय और शैलेंद्र दोस्त थे। इसलिए पुलिस संजय से उस लडकी के बारे में जानना चाहती थी, जिससे शैलेंद्र के संबंध थे। इसी को लेकर 12 जुलाई को टीआई शैलेंद्र सिंह कुशवाह ने जांच के दौरान संजय से पूछताछ की थी। 10 दिन बाद फिर एक बार संजय से पूछताछ हुई। इसके बाद वह सूरत में निजी कंपनी में काम करने चला गया। 14 अगस्त को ग्वालियर से स्थानांतरित होकर आए अजय चानना ने सेंवढा थाना प्रभारी के रूप में चार्ज लिया और नए सिरे से हत्याकांड की जांच शुरू की। जांच के दौरान स्टाफ के लोगों ने संजय के बारे में बताया। सेंवढा पुलिस के कहने पर 25 अगस्त को सूरत से संजय को घर बुलाया गया। 27 अगस्त को वह सेंवढा आया और सीधा थाने गया। शाम को संजय को उसके परिजन आलोक सिंह परिहार थाने से घर लेकर आए। 28 अगस्त को संजय का शव परिजनों को उसके कमरे में मिला। सेंवढा थाना प्रभारी अजय चानना ने पूछताछ के लिए बलाए गए संजय को थाने में यातनाएं दी तथा झूठे मामले में फंसाने की धमकी से घवराया संजय ने आत्म हत्या कर ली। चंबलरेंज के आईजी को चाहिए वह संजय की मौत के लिए थाना प्रभारी के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कराए।
परिजन और नगर के सैकडों लोगों का आक्रोश देखकर एसपी ने पहले टीआई चानना को लाइन अटैच किया लेकिन परिजन निलंबित करने की मांग करने लगे। जिसके चलते एसपी ने टीआई को निलंबित कर दिया। साथ ही मजिस्ट्रियल जांच के लिए कलेक्टर के पास अनुशंसा भेजी। कलेक्टर के आदेश के बाद मजिस्ट्रियल जांच शुरू होगी।
आदरणीय आईजी साहब, क्या पुलिस ऐसी होती है… मैं आप से पूछता हूं, मेरा कसूर क्या है कि मैंने दोस्ती की। चानना जैसे ऑफिसर को आप पुलिस से निकाल दें। मैं संजय परिहार आत्महत्या करने जा रहा हूं, मेरी मृत्यु के जिम्मेदार सेंवढा थाना प्रभारी हैं। उन्होंने मुझे मारा, गंदी-गंदी गाली दी, मेरा कसूर बस इतना है कि शैलेंद्र तिवारी मेरा दोस्त था। वो मुझसे एक ही सवाल पूछते हैं..कि शैलेंद्र का किस लडकी से चक्कर था। लेकिन मैं क्या करूं जब मुझे कुछ मालूम ही नहीं है…थाना प्रभारी चानना बहुत बदतमीज हैं। मैं एक छात्र हूं और मैं उसका दोस्त हूं। क्या दोस्ती करना जुर्म है… मुझे क्या पता दोस्ती के लिए पुलिस से पूछना पडेगा..क्या मुझे थाना प्रभारी चानना धमकी देते हैं..मैं तुझे मर्डर केस में फंसा दूंगा..अब मैं क्या करूं जब मुझे कुछ मालूम ही नहीं है। मैं संजय परिहार सत्य कहता हूं कि मुझे कुछ पता नहीं है लेकिन मैं क्या करूं… वो मुझ पर विश्वास नहीं कर रहे हैं। मरने वाला कभी झूठ नहीं बोलता…मैं सत्य कह रहा हूं…मुझे कुछ नहीं मालूम…मेरी बेइज्जती की है थाना प्रभारी चानना ने… मैं बहुत सिंपिल व्यक्ति हूं…
बुधवार को मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी को रिपोर्ट पेश करनी थी। आईजी चंबल इस मामले की समीक्षा करने वाले थे। इसलिए पुलिस भी केस के निराकरण को लेकर तेजी में थी। सुसाइड नोट के अनुसार पुलिस संजय पर इस बात का दबाब बना रही थी कि वह बताए कि शैलेन्द्र के किस लडकी से संबंध थे। यानि पुलिस को यह शक है कि शैलेन्द्र की हत्या किसी लडकी से संबंधों के चक्कर में हुई। पर घटना के 47 दिन गुजरने के बाद भी पुलिस के पास उसका नाम नहीं है। फिर किस आधार पर पुलिस शैलेन्द्र की हत्या का कारण लडकी को मान रही है। पुलिस अंधेरे में तो तीर नहीं चला रही। मां बेटे की हत्या के मामले में फरियादी ने 10 दिन पहले आरोपियों के नाम लिख कर आईजी को दिए। पुलिस उन नामों की अनदेखी क्यों कर रही है।