बैतूल। लॉकडाउन का पालन करवा रहे सिस्टम की कई उजली तस्वीरें प्रदेश में अब तक सुर्खियां बनती रही हैं, लेकिन इसकी एक बदरंग तस्वीर बैतूल से सामने आई है। यहां एक 71 साल के बूढ़े को भी अफसरों के रौब का शिकार होना पड़ा और सड़क किनारे उठक-बैठक लगानी पड़ी। गरीब बुजुर्ग के पैरों में इतनी ताकत नहीं कि वो ठीक से चल सकें, लेकिन सरकारी वर्दी की ताकत ने उन पैरों को भी घुटनों के बल झुकने को मजदूर कर दिया। बुजुर्ग का गुनाह सिर्फ इतना था कि उन्होंने अपना पेट पालने के लिए सब्जी की दुकान लगा ली थी। 

घटना बैतूल के कोसमी इलाके की है। यहां 71 साल के गजन बरकड़े नाम के बुजुर्ग ने सड़क के किनारे सब्जी की दुकान लगा ली थी। आमतौर पर रविवार को साप्ताहिक बाजार का दिन होता है। बूढ़े ने दुकान देर शाम तक लगाए रखी। यह नगरपालिका के अमले को रास नही आया। लॉकडाउन में शाम पांच बजे के बाद दुकानें बंद कराने निकले अमले ने बुजुर्ग की क्लास लगा दी। पहले तो उन्हें खूब डांटा-फटकारा गया और फिर उठक-बैठक लगवाई गई। इस नजारे को जिसने भी देखा, उसे कर्मचारियों की बुद्धि पर तरस आ गया। इस अमले में नगरपालिका बैतूल के राजस्व विभाग के अलावा वन विभाग के दो डिप्टी रेंजरों की ड्यूटी लगाई गई थी। बूढ़े पर रौब झाड़ने वाले डिप्टी रेंजर श्रीराम पिम्पलकर का कहना है कि बार-बार समझाइस के बाद भी न मानने पर उन्हें ऐसा करवाना पड़ा। वहीं, पीड़ित बुजुर्ग का कहना है कि उसे सब्जी की दुकान लगाने के समय की जानकारी नहीं थी। इधर एएसपी बैतूल ने इसे गलत बताते हुए कहा है कि वे अमले को इस तरह की कार्रवाई न करने के निर्देश जारी कराएंगे। 

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