ग्वालियर। मध्य प्रदेश के विशेष सत्र न्यायाधीश सुरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव ने आरक्षक भर्ती घोटाले के आरोप में दो सगे भाइयों को 5-5 साल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने दोनों भाइयों को सजा काटने के लिए जेल भेज दिया। आरक्षक भर्ती परीक्षा में दिनेश कुशवाह के नाम से दो फार्म भरे गए थे। एक व्यक्ति ने दो जगह परीक्षा कैसे दी, जब इसकी पुलिस ने जांच की तो दोनों सगे भाई पकड़े गए।
सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक निर्मल शर्मा ने बताया कि व्यापमं ने वर्ष 2012 में आरक्षक भर्ती परीक्षा आयोजित की थी। फार्म पर दिनेश कुशवाह पिता सुदामा, मां का नाम काशीबाई निवासी संजय स्कूल के पास अटेर रोड पोरसा मुरैना लिखा हुआ था। इस नाम से दो फार्म भरे गए थे।
परीक्षा का एक सेंटर जेएस पब्लिक हाईस्कूल व दूसरा सेंटर पीजी कॉलेज अंबाह में था। दिनेश ने दोनों ही जगहों पर परीक्षा दी। एडीशनल डीजीपी ने यह मामला पकड़ लिया और मुरैना पुलिस को निर्देशित किया कि एक व्यक्ति दो जगह परीक्षा कैसे दे सकता है। इसके बाद दिनेश का रिजल्ट रोक दिया गया। पुलिस ने जब मामले की पड़ताल की तो सामने आया कि एक स्थान पर दिनेश खुद बैठा था, जबकि दूसरे परीक्षा केंद्र पर उसने अपने सगे भाई मुकेश कुशवाह को बिठाया था।
पुलिस ने इस मामले में केस दर्ज किया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर केस सीबीआई के हैंडओवर हो गया। सीबीआई ने अतिरिक्त जांच कर कोर्ट में चालान पेश किया। मुकेश कुशवाह पूर्व से आरक्षक था, वह अंबाह के सेंटर पर परीक्षा देने बैठा था। इस मामले में सीबीआई ने 22 गवाह कराए। कोर्ट ने दोनों भाइयों को दोषी मानते हुए पांच-पांच साल की सजा सुनाई। कोर्ट ने कहा कि दिनेश को पास कराने के लिए उसके सगे भाई मुकेश ने परीक्षा दी थी। इस तरह के फर्जीवाड़े से प्रतियोगी परीक्षाओं से अच्छे उम्मीदवार दूर होने लगे हैं।