भोपाल। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने कर्मचारियों का पीएफ जमा न करने वाले नियोक्ताओं को जेल भेजने की तैयारी कर ली है। ईपीएफओ ने अप्रैल ही ऐसे सभी मामलों में रिवेन्यू रिकवरी सर्टिफिकेट (आरआरसी) जारी करने का निर्णय लिया है। इसके तहत डिफाल्टर नियोक्ताओं निजी और संस्था की प्रापर्टी भी अटैच कर नीलाम करने जैसा कदम भी उठाया जाएगा।

ईपीएफओ के पास प्रदेश के कई जिलों से इस तरह की शिकायतें पहुंच रही हैं, जिनमें नियोक्ताओं द्वारा अंशनिधि जमा नहीं करने का जिक्र है। शिकायतों के आधार पर ईपीएफओ ने भी जांच कराकर नियोक्ताओं को नोटिस भेजे हैं। इसके अलावा प्रदेश की विभिन्न संस्थाओं में ठेके पर काम कर रहे कर्मचारियों की पीएफ कटौती का मामला भी है। उन्हें पीएफ का लाभ नहीं मिल रहा। इस संबंध में भी ईपीएफओ ने नियोक्ताओं से ब्योरा मांग लिया है।

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के क्षेत्रीय कमिश्नर संजय केसरी ने ‘नवदुनिया” को बताया कि 1 अप्रैल के बाद ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी। उन्होंने बताया कि हाल ही में क्षेत्रीय समिति की बैठक में भी इस मुद्दे पर चर्चा हुई है। बैठक में मप्र शासन के प्रमुख सचिव श्रम अश्विनी राय भी मौजूद थे।

कमिश्नर केसरी ने बताया कि ईपीएफओ ने ऐसे डिफाल्टर नियोक्ताओं को चिन्हित कर लिया है, आरआरसी जारी होने के बावजूद यदि अंशनिधि जमा नही की गई तो अंतिम विकल्प के तौर पर संस्था और निजी संपत्ति अटैच कर नीलाम कर दी जाएगी। इसके अलावा नियोक्ता को जेल भेजने की कार्रवाई भी की जाएगी।

प्रदेश के सभी क्षेत्रीय कमिश्नरों से उनके क्षेत्रों में मौजूद डिफाल्टर नियोक्ताओं को चिन्हित करने की प्रक्रिया शुरू की गई है। कमिश्नर ने बताया कि इस संबंध में दैनिक वेतन भोगी, संविदा व ठेके के माध्यम से नियुक्त कर्मचारियों को भविष्य निधि योजनाओं के लाभ मिलने में आ रही समस्याओं पर भी चर्चा की गई। उमंग मोबाइल एप के माध्यम से भविष्य निधि योजनाओं के लाभ लेने की जानकारी दी गई।

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