पाकिस्तान के लिए इन दिनों पश्तून आंदोलन सिरदर्द बना हुआ है। पाक सेना के सामने मंज़ूर पश्तीन नाम का एक पश्तून नेता चैलेंज बनकर खड़ा है। बीते कुछ महीनों में मंज़ूर पश्तून की पाकिस्तान में काफी लोकप्रियता बढ़ी है। पश्तीन देखते ही देखते पाकिस्तान की राजनीति में छा गए हैं। पाकिस्तान में रहने वाले पश्तून मंज़ूर पश्तीन के साथ हैं और पाक सेना पर उनका गुस्सा रैलियों के रूप में निकल रहा है।
गुस्से में क्यों हैं पश्तून?
पाकिस्तान में रह रहे पश्तूनों का आरोप है कि वहां की सेना की कार्रवाई के दौरान पिछले कुछ वर्षों में कई पश्तून लापता हो चुक हैं तो कई पश्तूनों को मारा जा चुका है। पाक सेना वहां रह रहे पश्तूनों का दमन कर रही है और उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रही है। इनका आरोप है कि पाकिस्तान उनके साथ गुलामों जैसा सलूक कर रही है। ऐसे में युवा पश्तून नेता मंज़ूर पश्तीन उनके लिए एक मसीहा बनकर सामने आए हैं।
पश्तूनों का दमन चाहती है पाक सेना
पिछले एक दशक में अफगानिस्तान से सटी सीमा पर पाकिस्तानी सेना की ओर से आतंकियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान की वजह से हजारों लोगों की जानें जा चुकी हैं, जबकि हजारों पश्तून बेघर हो चुके हैं। पाकिस्तानी आर्मी और वायुसेना के हमलों की वजह से हजारों पाकिस्तानी पश्तून देश छोड़कर भागने के लिए मजबूर हो गए और कुछ अपनी जान बचाने के लिए अफगानिस्तान जाकर बस गए।
पश्तूनों की आवाज बुलंद करती पीटीएम
इसी को देखते हुए पश्तून प्रटेक्शन मूवमेंट (पीटीएम) का जन्म हुआ। पीटीएम का गठन पश्तून नेता मंज़ूर पश्तीन ने 2014 में किया था। इस साल जनवरी में एक पश्तून की हत्या होने के बाद पीटीएम ने विरोध अभियान शुरू किया। शुरुआत में इससे काफी कम लोग जुड़े, लेकिन वक्त के साथ पीटीएम मजबूती के साथ खड़ा होता गया और लोग इससे जुड़ते गए। धीरे-धीरे पीटीएम के अंतर्गत पाकिस्तान में पश्तूनों की कई विरोध रैलियां निकलीं, जिनमें उन्होंने पाकिस्तानी सेना के खिलाफ बिगुल बजाया।
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पीटीएम की ये रैलियां पाकिस्तानी सेना के लिए डर पैदा कर रही हैं। इसी डर की वजह से पीटीएम के कई नेताओं की सेना ने धर-पकड़ भी शुरू की, लेकिन रैलियां आयोजित होती रहीं। रविवार को भी लाहौर में रैली आयोजित हुई, जिसमें हजारों की तादाद में लोग शामिल हुए नारे लगाए, ‘आतंकवादियों को वर्दी की शह मिल रही है।’
बाज नहीं आ रहा पाकिस्तान
सालों से पाकिस्तान पर आतंकवाद को शह देने के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन उसने हमेशा ही इन आरोपों को नकारा है। तब से लेकर अभी तक न तो आतंकी गतिविधियों में कमी आई है और न ही पाकिस्तान की तरफ से आतंकवाद को शह मिलनी बंद हुई है। इस साल जनवरी में अमेरिका ने भी पाकिस्तान को सुरक्षा संबंधी मदद देनी भी बंद कर दी।
पीटीएम और मंज़ूर पश्तीन का डर अब पाकिस्तानी सेना के साथ-साथ वहां की अन्य पार्टियों में भी फैल रहा है। खुद वहां के मीडिया ने भी पीटीएम को सेना के डर की वजह से कुछ वक्त के लिए ब्लैकआउट कर दिया था, लेकिन पश्तून लोग अपनी मांगों पर अडिग हैं और सेना के खिलाफ उनका आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है।