इस्लामाबादः आतंकवाद को बढ़ावा देने वाला पाकिस्तान इस वक्त गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। आतंकवाद को संरक्षण देने कारण ही अमरीका ने फौरी तौर पर पाकिस्‍तान को दी जाने वाली आर्थिक मदद रोक रखी है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भी कई तरह के आर्थिक प्रतिबंद लगा रखे हैं। ऐसे में पाकिस्‍तान को विदेशी मुद्रा जुटाने का एकमात्र जरिया चीन है। चीन दक्षिण एशिया में अपनी पकड़ मजबूत करने की रणनीति के तहत पाकिस्‍तान की मदद कर रहा है। उसने पाकिस्‍तान में कई परियोजनाओं में निवेश किया है। इस मौके का लाभ उठाते हुए पाकिस्‍तान ने चीन को उसका राजफाश करने की चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उसे इस दक्षिण एशियाई देश में 60 अरब डॉलर के निवेश की योजना को जारी रखनी है तो कर्ज उपलब्‍ध कराते रहना पड़ेगा। जून 2018 को खत्‍म वित्‍त वर्ष में पाकिस्‍तान ने चीन से 4 अरब डॉलर कर्ज लिया था।

पाक चाहता है कि चीन से उसे फंडिंग होती रहे ताकि IMF के सामने उसे हाथ नहीं फैलाना पड़े़। फाइनैंशियल टाइम्स ने पाकिस्‍तान के अधिकारियों के हवाले से लिखा है कि अगर चीन कर्ज देना बंद करता है तो इससे चीन-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) का भविष्य खतरे में पड़ सकता है। सीपीईसी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वाकांक्षी योजना बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का महत्‍वपूर्ण अंग है।अगर पाकिस्तान को IMF की शरण लेने को मजबूर किया गया तो फिर उसे सीपीईसी परियोजना की फंडिंग की सारी जानकारी सार्वजनिक करनी पड़ेगी। यहां तक कि मूलभूत ढांचे को विकसित करने के लिए पहले से तय कुछ योजनाएं भी रद्द करनी पड़ सकती हैं। पाकिस्तान के पास जितनी विदेशी मुद्रा है, वह 10 हफ्तों तक के आयात के बराबर है। विदेशों में नौकरी कर रहे पाकिस्तानी देश में जो पैसे भेजते थे उसमें भी गिरावट आई है। इसके साथ ही पाकिस्तान का आयात बढ़ा है। चीन-पाक इकोनॉमिक कॉरिडोर में लगी कंपनियों को भारी भुगतान के कारण भी विदेशी मुद्रा भंडार खाली हो रहा है।

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