पाकिस्तान की ‘मदर टेरेसा’ कहलाने वाली डॉक्टर रूथ फॉ का कराची में निधन हो गया है। वो 87 साल की थीं। डॉ. फॉ ने अपना पूरा जीवन पाकिस्तान में कुष्ठ रोग के उन्मूलन के लिए काम करते हुए बिताया। शुक्रवार को उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था और वहीं उनका निधन हुआ। डॉ. फॉ ने साल 1960 में पाकिस्तान में कुष्ठ रोग पहली बार देखा और फिर देशभर में क्लिनिक स्थापित करने का मकसद लेकर लौटीं। उनके प्रयासों की बदौलत ही 1996 में ये घोषणा की जा सकी कि बीमारी अब नियंत्रण में आ गई है।
दिल में पाकिस्तान
उनके निधन पर प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने कहा, ”डॉ. फॉ भले ही जर्मनी में पैदा हुई थीं, लेकिन उनका दिल हमेशा पाकिस्तान में रहा।”डॉ. फॉ के साहस औपाकिस्तान की ‘मदर टेरेसा’ का निधनर योगदान की तारीफ करते हुए प्रधानमंत्री अब्बासी ने कहा, ”डॉ. रूथ उस समय पाकिस्तान आई थीं जब पाकिस्तान के बनने के शुरुआती साल थे। वो यहां कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों का जीवन बेहतर बनाने आई थीं और ऐसा करते हुए वो यहीं की होकर रह गईं।”
वुर्ज़बर्ग स्थित रूथ फॉ फाउंडेशन के हेरॉल्ड मेयर पोर्जकी ने कहा कि डॉ. फॉ ने लाखों लोगों को इज़्जत की जिंदगी बक्शी।डॉ. फॉ का जन्म लिपज़िक में 1929 को हुआ था। दूसरे विश्व युद्ध में उनका घर बमबारी में तबाह हो गया था। उन्होंने मेडिसीन की पढ़ाई की और बाद में उन्हें दक्षिण भारत जाने का आदेश दिया गया। लेकिन वीजा की दिक्कतों के उन्होंने पाकिस्तानी डॉक्टरों को प्रशिक्षित किया और पाकिस्तान के राष्ट्रीय कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम की शुरुआत में और विदेशों से पैसे जुटाने में मदद की।’
साल 2010 में जब पाकिस्तान में तबाही मचाने वाली बाढ़ आई तो डॉ. फॉ ने उस दौरान भी पीड़ितों की मदद कर काफी तारीफ बटोरी। उन्हें पाकिस्तान के दूसरे प्रमुख नागरिक सम्मान हिलाल ए इम्तियाज़ से साल 1979 में नवाजा गया। साल 1989 में उन्हें हिलाल ए पाकिस्तान और 2015 में जर्मन स्टॉफर मेडल से सम्मानित किया गया। पाकिस्तान में अपने काम के बारे में उन्होंने जर्मन में चार किताबें लिखीं। उनकी किताब ‘टू लाइट ए कैंडल’ को अंग्रेजी में अनुदित किया गया।’