पन्ना ! पन्ना टाईगर रिजर्व में बाघों का संसार पुन: आबाद करने में अहम भूमिका निभाने वाली बाघिन टी-5 की संदेहास्पद परिस्थितियों में मौत की खबर से पूरे पार्क में हडक़म्प मच गया। बाघों के लिये सुरक्षित रहवास बन चुके पन्ना टाईगर रिजर्व में अब बाघों की मौतों का सिलसिला फिर शुरू हो गया है। कॉलर आईडी केमरे से बाघिन की सतत निगरानी का दावा करने वाले पार्क प्रबंधन को उसका शव मिला तो दावे की पोल खुल गई।
बताया जाता है कि आज बाघिन की निगरानी कर रहे दल को एक ही स्थान पर काफी देर तक बाघिन के सिग्नल मिले। इसके बाद पार्क के वरिष्ट अधिकारियों को सूचना दी गई और उसकी तलाश शुरू हुई। टाईगर रिजर्व के हिनौता परिक्षेत्र अंतर्गत बिलहटा बीट के कक्ष क्रमांक 507 में बाघिन का शव मिला। शव पर कई जगह घाव साफ तौर पर नजर आ रहे थे। मौके पर पहुंचे अधिकारियों की मानें तो बाघिन की मौत बाघों की आपसी लड़ाई में होने की संभावना है। पार्क प्रबंधन के सूत्रों के अनुसार बाघिन के शरीर पर रीड़ की हड्डी में दोनों ओर काटने के निशान मिले हैं। जिससे उसकी पसलियां छतिग्रस्त हो गई थी, संभवत: इसी के चलते बाघिन की मौत हुई होगी। पार्क प्रबंधन ने बाघिन के शव को मौके से उठाया और वन्यप्राणी चिकित्सकों ने उसका पूरा शव परीक्षण किया। पन्ना टाइगर रिजर्व के वन्यप्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव कुमार गुप्ता के द्वारा पोस्ट मार्टम किया गया। इसके बाद बाघिन का बिसरा निकाल कर उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया। लाल सिंह रावत, मुख्य वन संरक्षक छतरपुर की उपस्थिति में दोपहर 2.30 बजे नियमानुसार राष्ट्रगान के साथ दाह संस्कार किया गया। इस सम्पूर्ण कार्यवाही में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण नई दिल्ली के प्रतिनिधि के रूप में राजेश दीक्षित, एडवोकेट पन्ना एवं भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के प्रतिनिधि के रूप में रजत साहा साथ रहे। यह बाघिन शुरू से ही कमजोर थी तथा इसका समय-समय पर ईलाज भी किया जा रहा था।
संदेहास्पद है मौत : पन्ना टाईगर रिजर्व में मृत मिली बाघिन को कान्हा टाइगर रिजर्व से लाया गया था। टी-5 और टी-4 दोनों ऐसी बाघिनें थी, जिन्हें बाड़े में पाला गया। बाद में उन्हें जंगल के वातावरण और इलाके से परिचित कराने के लिये खुले जंगल में छोड़ा गया। इस अभिनव प्रयोग के लिये दुनियां भर में पार्क प्रबंधन की तारीफ भी हुई थी। इन बाघिनों ने न सिर्फ जंगल में रहना सिखा बल्कि संतानों को भी जन्म दिया। कुछ समय पूर्व टी-4 की मौत हो गई और अब टी-5 की भी संदेहास्पद मौत के बाद अर्धजंगली बाघिनों की बिरादरी समाप्त हो गई और अभिनव प्रयोग भी असफल हो गया। बाघिन की मौत के पीछे प्रारंभिक तौर पर पार्क प्रबंधन बाघों का संघर्ष बता रहा है। लेकिन पर्यावरण प्रेमियों की मानें तो बाघों के बीच तो आपसी संघर्ष सामान्य है, लेकिन ऐसे संघर्ष में बाघिन की मौत होना दुर्लभ है। सामान्य तौर पर नर बाघों के बीच में ही संघर्ष होता है। बाघिनों या नर और मादा बाघ के बीच संघर्ष की स्थिति नहीं बनती। ऐसे में बाघिन की मौत के दूसरे कारण भी हो सकते हैं। लेकिन पार्क प्रबंधन इसे छिपाने में जुटा है। पार्क प्रबंधन ने बाघिन की मौत के बाद मीडिया से भी दूरी बनाये रखी और किसी को भी पार्क में प्रवेश नहीं दिया। जिससे स्पष्ट होता है कि पार्क प्रबंधन कुछ छिपाने में जुटा हुआ है। हालांकि बिसरा रिर्पोट आने के बाद अटकलों पर पूर्ण विराम लग जायेगा।

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