नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की 2008 में हुई हत्या के मामले की सुनवाई शीघ्र पूरी करने का आज निचली अदालत को निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने हत्या मामले की सुनवाई का शीघ्र निपटारा करने की आरोपी की याचिका को खारिज करते हुए अदालत को यह निर्देश दिया।
अदालत, वकील अमित कुमार के जरिए दाखिल की गई आरोपी बलजीत सिंह मलिक की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
मलिक ने अदालत से निचली अदालत को एक तय समयसीमा के भीतर दैनिक आधार पर मौजूदा मामले की सुनवाई शीघ्र पूरी करने और फैसला सुनाने का निर्देश देने की मांग की थी।
उच्च न्यायालय ने निचली अदालत को मामले की सुनवाई जल्द से जल्द खत्म करने और प्राथमिकता के साथ दैनिक आधार पर या सप्ताह में कम से कम दो दिन सुनवाई करने का निर्देश दिया।
अदालत ने एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को भी नियुक्त करने का निर्देश दिया, जो सुनवाई के लिए तय तारीख पर अभियोजन पक्ष के गवाहों की उपस्थिति की निगरानी करेगा।
दिल्ली सरकार के स्थायी वकील राहुल मेहरा ने अदालत को बताया कि दिल्ली पुलिस ने एक वरिष्ठ अधिकारी को मामले की निगरानी के लिए नियुक्त किया है।
अदालत ने कहा कि सुनवाई के लिए तय तारीख पर गवाहों के पेश न होने के कारण स्पष्ट रूप से सुनवाई में देरी हुई है।
निचली अदालत में फरवरी तक मामले में लगभग 42 गवाहों के बयान दर्ज किए गए थे। अभियोजन पक्ष ने अपने आरोपपत्र और पूरक आरोपपत्र में लगभग सैकड़ों गवाहों का हवाला दिया है।
मलिक ने मौजूदा मामले की जांच और सुनवाई में बिना किसी कारण के देरी पर एक करोड़ रुपये मुआवजे की भी मांग की है।
लेकिन अदालत ने मुआवजे की मांग करने वाली उनकी याचिका खारिज कर दी।
मलिक ने अपनी याचिका में अदालत को बताया कि 2008 में जब मामला दर्ज किया गया था, तब उसकी उम्र 20 साल थी। उसे 28 मार्च, 2009 को गिरफ्तार किया गया और तब से वे जेल में बंद हैं और कैदी के रूप में मुकदमे का सामना कर रहा है।