ग्वालियर। मामा माणिकचन्द्र वाजपेयी नैसर्गिक रूप से लेखक, विचारक और चिंतक थे। वह हमेशा समाज को दिशा देने वाली पत्रकारिता के लिए प्रेरित करते रहते थे। सच्चे अर्थों में कहा जाए तो मामाजी पत्रकारिता के मानक थे।
उक्त उदगार मामा माणिकचन्द्र वाजपेयी स्मृति सेवा न्यास द्वारा आयोजित पत्र लेखक सम्मान समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जन संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सच्चिदानंद जोशी सहित अन्य अतिथियों ने व्यक्त किए। राज्यसभा सदस्य प्रभात झा ने इस मौके पर मामाजी से जुडे अनेक प्रसंग सुनाए। उन्होंने कहा कि मामाजी चिंतनशील व्यक्ति थे। वह शालीनता, सजगता, सहृदयता, संवेदनशीलता के प्रमाण थे। उन्होंने कहा कि निर्भिकता और नैतिकता के साथ पत्रकारिता करना मामाजी से सीखने योग्य बातें हैं। इस मौके पर मीडिया के सामाजिक सरोकार विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए प्रो जोशी ने कहा कि मामाजी की सादगी और सरलता एवं उनकी स्मतृति में होने वाले पत्र लेखक सम्मान समारोह वास्तव में सराहनीय है। उन्होंने कहा कि कोई भी मीडिया समाज से अलग नहीं हो सकता है। समाज ही मीडिया का निर्माण कर रहा है। प्रो जोशी ने अनेक घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि आज हम काफी विखंडित हो गए हैं। पूरी दुनियां में क्या हो रहा है यह तो हम जानकारी रखते हैं लेकिन अपने पड़ोस में और घर की जानकारी हम नहीं रखते हैं। प्रो जोशी ने कहा कि मीडिया को आज कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। मीडिया में आ रहे बदलाव का ही कारण है कि आज समाचारों को गढ़ा जा रहा है। स्टिंग आपरेशन के बाद अब खबरों को सनसनी बनाया जा रहा है, जिससे खबरों की प्रमाणिकता पर संकट खड़ा हो गया है। उन्होंने कहा कि मीडिया के लिए सबसे बड़ी चिंता की बात है कि वह पूंजीपतियों के हाथों में पहुंच गया है। उन्होने बताया कि अभिस्वीकृति का प्रबंधन के कारण मीडिया दूसरों के हाथों से संचालित हो रहा है। इसके अलावा भारतीयता की रक्षा और मध्यम वर्ग की रक्षा ऐसे कुछ बिंदु होने चाहिए जो मीडिया की प्रतिबद्धता को सुनिश्चित करें। प्रो जोशी ने कहा कि आज जिस प्रकार सोशल मीडिया की ताकत बढ़ रही है उससे परंपरागत मीडिया पर संकट आने वाला है। यदि आज हम नहीं चेते तो भविष्य में स्थितियां और ज्यादा भयावह हो जाएंगी। इस अवसर पर उत्कृष्ट पत्र लेखकों का सम्मान किया गया। जिसमें अरूण शिरढोणकर, डा. सुभद्रा सिंघल, दिलीप मिश्रा, अशोक शिरढोणकर, और नारायण प्रजापति और राममोहन नावंशी को पुरस्कृ़त किया गया। प्रथम पुरस्कार 1100 रूपए, द्वितीय 501 और तृतीय को 251 रूपए की राशि और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। इस अवसर पर अभा साहित्य परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रीधर पराडकर, आरएसएस के सह प्रांत कार्रवाह यशवंत इंदापुरकर, प्रांत सह प्रचार प्रमुख ओमप्रकाश सिसोदिया, विवेक शेजवलकर, कामतानाथ वैशम्पायन, वरिष्ठ पत्रकार लोकेन्द्र पाराशर, कमल माखीजानी, जयकिशन शर्मा, अजय अरोरा, आरके खेतान, प्रकाश कुंडलकर, राज चडढा, डा. राजेश उपाध्याय आदि उपस्थित थे।