गुना ! पहले तो पति ने दहेज की मांग को लेकर प्रताड़ित किया। फिर पति की सहमति से जेठ ने कुकर्म भी किया। जिससे एक बच्ची भी हो गई, जो अभी ढाई महीने की है। शिकायत करने पर पति के खिलाफ तो दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज हो गया। लेकिन बलात्कार करने वाले जेठ के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। रिश्तों को तार-तार कर देने वाला यह खुलासा सोमवार यहां लगी महिला आयोग की संयुक्त पीठ में शिकायतकर्ता महिला की सुनवाई के दौरान हुआ। जहां आयोग की संयुक्त पीठ ने बच्ची का डीएनए टेस्ट कराने के साथ ही जेठ के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। यह मामला कालापीपल चांचौड़ा थाना निवासी एक महिला का है। जो इन दिनों अपने मायके में रह रही है।
असल में उक्त महिला की ससुराल मनोहर थाना क्षेत्र के ग्राम कानपुरया में है। जहां पति पांचीलाल आए दिन महिला से मारपीट करता था। साथ ही पति पांचीलाल की सहमति से जेठ पर्वत सिंह ने महिला के साथ बलात्कार किया। इसी के बाद से क्षुब्ध महिला अपने मायके में आकर रहने लगी। पीड़िता ने पहले संबंधित थाने मामले की शिकायत की। फिर महिला आयोग में। जिसकी संयुक्त पीठ में शामिल सदस्य वंदना मांडवी और कविता पाटीदार ने सोमवार को यहां सुनवाई की।
इसी दौरान यह भी उजागर हुआ कि महिला के एक ढाई महीने की बच्ची भी है। जिसका पिता पांचीलाल नहीं, बल्कि जेठ पर्वत सिंह है। पीड़िता की सभी बातों पर हैरानी जताते हुए सदस्य ने कहा कि बात घर के बाहर महिला सुरक्षा की हो रही है और यहां तो महिला घर में ही सुरक्षित नहीं है। इधर, चांचौड़ा पुलिस ने बताया गया कि पति पांचीलाल के खिलाफ धारा 498ए आईपीसी का मामला दर्ज कर लिया गया है। बैंच ने कार्रवाई से असंतुष्टि जताते हुए बच्ची टेस्ट कराने के साथ ही कुकर्मी जेठ पर्वत सिंह के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज करने के निर्देश दिए। जहां थाना राजस्थान में होने की पेचीदगी पर थाना प्रभारी ने शून्य पर कायमी कर मनोहर थाना पुलिस को मामला भेजे ने को कहा। सुनवाई के दौरान ही एक और हैरतभरा मामला सामने आया। जबकि राधा कॉलोनी निवासी एक महिला ने बैंच के समक्ष उपस्थित होकर किसी भी तरह की शिकायत महिला आयोग को नहीं करने का दावा किया। जिस पर से बैंच ने महिला से हिन्दी और अंग्रेजी से हस्ताक्षर कराकर शिकायत पत्र के हस्ताक्षरों से मिलाने का प्रयास किया। अंतत: बैंच ने भी इसे झूठी शिकायत स्वीकारा। जिसके पीछे के कारण महिला ने स्वयं बैंच को बताए। हालांकि उक्त मामले में खात्मा लगाने का निर्णय बैंच लिया। वहीं आरोन नगरपंचायत से जुड़े एक मामले में सीएमओ के साथ-साथ सफाई दरोगा भी बैंच के समक्ष पेश हुए। असल में एक महिला सफाईकर्मी ने उसे नौकरी से हटाने पर आपत्ति जताते हुए पहले यहां-वहां और फिर महिला आयोग को शिकायत कर दी थी। नगरपंचायत अधिकारियों ने मामले से संबंधित कागजात प्रस्तुत कर शिकायत को इसलिए निराधार बताया कि महिला काम ही नहीं करना चाहती। महिला सिर्फ धमकियां दे-दे कर नौकरी में बने रहना चाहती है। इसी तरह एक मामला जमीन से संबंधित आया। जिसकी जांच-पड़ताल का जिम्मा तहसीलदार रश्मि श्रीवास्तव को सौंप दिया गया। इनके अलावा बैंच के समक्ष दहेज प्रताड़ना, मारपीट, पति द्वारा छोड दिए जाने के संबंधी भी कुछ मामले बैंच के समक्ष सुनवाई के दौरान आए।