इंदौर। मध्यप्रदेश की संस्कारधानी इंदौर भाजपा अध्यक्ष गोपाकृष्ण नेमा ने देवास में सांसद महेंद्र सोलंकी से कुर्सी को लेकर विवाद मामले में प्रदेश सरकार के मंत्री जीतू पटवारी को आडे हाथों लिया। नेमा ने कहा- जिन्हें तुम (पटवारी) बैठक से बाहर जाने की बात कह रहे हो, वो न्यायाधीश (जज) की नौकरी छोड़कर आए हैं। यदि वे अपनी कुर्सी पर बैठे होते तो जीतू बाबू आपको चप्पल उतारकर उनके कमरे में खडे रहना पडता। नेमा यहां कांग्रेस सरकार के खिलाफ भाजपा के हल्लाबोल कार्यक्रम में सभा को संबोधित कर रहे थे।
नेमा ने कहा कि जीतू इस बात को समझो… बाप-बाप होता है, बेटा-बेटा होता है और पोता-पोता होता है। तुम एक विधानसभा से जीतकर मंत्री बने हो। उनके पास तुम्हारे जैसे 8 हैं। महेंद्र सोलंकी 8 विधायकों के सांसद हैं। अपनी हैसियत पहचानो, अपने आप को पहचानो और भारतीय जनता पार्टी की ताकत को पहचानो। सांसद सोलंकी कोई भाजपा के कार्यकर्ता नहीं, जज थे। भाजपा की रीति-नीति ने प्रभावित होकर उन्होंने अपनी जज की नौकरी छोड़ी और देवास से लोकसभा का चुनाव लड़ा। चुनाव लडकर जीते भी, देवास की जनता ने उन्हें अपने सिर आंखों पर बिठाया है। उन्हें तुम कानून सीखा रहे हो, बैठने का स्थान बता रहे हो। अगर सोलंकी अपनी जज की कुर्सी पर बैठे होते तो आपको अपनी चप्पल उतारकर उनके कमरे में खडे होना पडता। समझे जीतू बाबू… इस बात को ध्यान में रखो। आप सांसद को कह रहे हो कि यहां से हट जाओ, चले जाओ। अपनी हैसियत पहचानो, यह मंत्री पद, यह विधायकी सब कुछ समय की है। कुछ भी स्थाई नहीं है। सब समय की बात है, अभी सूरज तुम्हारे पर चमक रहा है, लेकिन हम अंधकार में नहीं हैं। ये भाजपा कार्यकर्ता के रूप यहां मौजूद छोटे-छोटे दिए सूरज से मुकाबला करने को यहां तैयार खड़े हैं। हम कमलनाथ सरकार को चैन से नहीं बैठने देंगे।
देवास में 21 जनवरी को जिला योजना समिति की बैठक में मंत्री जीतू पटवारी और देवास-शाजापुर सांसद महेंद्र सोलंकी में कुर्सी को लेकर विवाद हो गया था। प्रोटोकॉल के मुताबिक जिस कुर्सी पर सांसद को बैठना था, वहां कलेक्टर बैठे थे। यह देख सांसद सोलंकी भडक गए। उन्होंने विरोध किया तो मंत्री-सांसद में बहस हो गई, जो 10-15 मिनट चली। इस बीच, मंत्री ने ऐलान कर दिया कि सांसद ने अपमान किया है। जहां भी ये जाएं, काले झंडे दिखाएं। सांसद बैठक से निकले तो कांग्रेसियों ने काले झंडे दिखाए। भाजपाई भी मौके पर पहुंच गए थे।