छिंदवाड़ा । मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में इस बार सबसे ज्यादा आंखे कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ पर टिकी हैं। प्रदेश में कांग्रेस को जीत दिलाने की अहम जिम्मेदारी उनके कंधों पर है। छिंदवाड़ा उनका संसदीय क्षेत्र है और इस बार यहां विधानसभा चुनाव में सबको बदलाव की उम्मीद भी है। लेकिन यह जिला सिर्फ कमलनाथ के कारण ही नहीं बल्कि पिछले चुनाव में दबे नोटा के बटन को लेकर भी चुनावी चर्चा में बना हुआ है। यहां सात विधानसभा सीट हैं, जिसमें जुन्नारदेव और अमरवाड़ा में सबसे ज्यादा नोटा का बटन दबता है।

प्रदेश में लोकतंत्र का सबसे बड़ा उत्सव आने वाला है। वह है मतदान दिवस। जिसके लिए पूरी प्रशासनिक मशीनरी तैयारियों में जुटी है। लोगों को जागरूक करने के लिए अब चुनाव आयोग भी सोशल मीडिया पर सक्रिय है। गिरते मतदान प्रतिशत को देखते हुए आयोग ने नोटा का विकल्प भी शुरू किया। पिछले चुनाव में मतदाताओं ने नोटा का उपयोग कर कई विधायकों को हरानाे की कगार पर ला कर खड़ा कर दिया था। 2013 के आंकड़ों के अनुसार मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा छिंदवाड़ा जिले में नोटा का इस्तेमाल हुआ था।

कांग्रेस कर रही नोटा से दूर रहने की अपील

विधानसभा चुनाव में इस बार बीजेपी को पटखनी देने के लिए कांग्रेस पूरा दम खम लगा रही है। कांग्रेस को सबसे ज्यादा नुकसान नोटा के दबने से होता है। पिछले चुनाव में कई सीटों पर अगर कांग्रेस को नोटा के वोट मिलते तो वह जीत सकती थी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ लोगों ने किसी भी दल को न चुनकर नोटा का उपयोग किया। इस बार भी कांग्रेस को नोटा का डर सता रहा है, जिसे लेकर कांग्रेस अभी से ही मतदाताओं को नोटा का उपयोग नहीं करने की सलाह दे रही है। कांग्रेस ने अपील की है कि अपना वोट सजगता से डालें, ये वक्त बदवाल का है। छिंदवाड़ा जिले में सात विधानसभा सीट आती है। इनमें आरक्षित सीट जुन्नादेव में 9412 और अमरवाड़ा में 8232 नोटा मत का इस्तेमाल किया गया था. इसके अलावा चौरई में 3464, सौंसर में 4200, छिंदवाड़ा में 5049, परासिया में 4627 और पांढुर्ना में 4251 नोट वोट डाले गए थे। छिंदवाड़ा में कुल 39235 वोट नोटा को डाले गए थे।

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