नई दिल्ली : बाजार नियामक सेबी के साथ चर्चित विवाद में उलझे सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय को लगता है कि उन्हें पिछले कुछ वर्ष से उत्पीड़ित किया जा रहा है और इसकी शुरुआत 2005 में राजनीतिक द्वैष की घटना के साथ हुयी तथा रिजर्व बैंक और सेबी उनकी कंपनियों के खिलाफ शिंकजा कसने लगे।

गौरतलब है कि समूह की दो कंपनियों के निवेशकों का करीब 24,000 करोड़ रुपये वापस करने के मामले में उनके व्यक्तिगत और कंपनी की संपत्तियों की सेबी द्वारा नीलामी कराये जाने का खतरा उत्पन्न हो गया है। राय को इस मामले में कल मुंबई में सेबी के मुख्यालय पर तलब किया गया था।

रॉय ने कहा कि इसकी शुरुआत 2005 में हमारे खिलाफ एक राजनीतिक द्वेष के साथ हुयी और उसके बाद से एक सिलसिला चल पड़ा। पहले रिजर्व बैंक ने 2008 में हमारे खिलाफ कार्रवाई की, उसके बाद सेबी ने हमारी कंपनियों पर शिकंजे चढ़ा दिये। सहारा समूह विविध प्रकार के व्यवसाय में लगा है, जिसमें मनोरंजन से लेकर जमीन-जायदाद के विकास, तथा वित्तीय सेवाओं से लेकर होटल तक का कारोबार शामिल हैं।

रॉय ने कहा कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड की कार्रवाई के चलते उनकी अन्य कंपनियों के कारोबार पर असर पड़ रहा है। बावजूद इसके रॉय ने कहा कि वह ‘आखिरी दम’ तक लडेंगे। उन्होंने विश्वास जताया कि उचित समय पर मामला सुलझा लिया जाएगा।

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