मराठा आंदोलन की आंच में पहले से ही झुलस रहे महाराष्ट्र में मोदी सरकार के मंत्री नितिन गडकरी के एक बयान ने आग में घी का काम किया है. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि आरक्षण रोजगार की गारंटी नहीं है क्योंकि नौकरियां कम हो रही हैं.

महाराष्ट्र के औरंगाबाद में नितिन गडकरी से जब आरक्षण के लिए मराठों के वर्तमान आंदोलन व अन्य समुदायों द्वारा इस तरह की मांग से जुड़े सवाल पूछे गए तो उन्होंने जवाब दिया कि यदि आरक्षण दे दिया जाता है तो भी फायदा नहीं है, क्योंकि नौकरियां नहीं हैं. बैंक में आईटी के कारण नौकरियां कम हुई हैं. सरकारी भर्ती रुकी हुई हैं. नौकरियां कहां हैं?

नितिन गडकरी ने आर्थिक आधार पर आरक्षण की तरफ इशारा करते हुए कहा कि एक ‘सोच’ है जो चाहती है कि नीति निर्माता हर समुदाय के गरीबों पर विचार करें. उन्होंने कहा कि एक सोच कहती है कि गरीब गरीब होता है, उसकी कोई जाति, पंथ या भाषा नहीं होती. उसका कोई भी धर्म हो, मुस्लिम, हिंदू या मराठा (जाति), सभी समुदायों में एक धड़ा है जिसके पास पहनने के लिए कपड़े नहीं है, खाने के लिए भोजन नहीं है.’

उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में 16 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकचर मराठा समुदायों का आंदोलन जारी है. पुणे, नासिक, औरंगाबाद में यह आंदोलन हिंसक भी हुआ कई जगहों पर आगजनी भी हुई. कई जगहों से कथित तौर पर युवकों के आत्महत्या की भी खबरें आईं.

पिछले दिनों विभिन्न राजनीतिक दलों से साथ मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की बैठक भी हुई. जिसमें कानून के दायरे में मराठा समुदाय को आरक्षण देने पर विचार किया गया. सरकार ने कहा कि कानूनी प्रकिया की जांच के बाद मराठा आंदोलन के विषय में एलान किया जाएगा जिससे अन्य समुदायों को मिलने वाले आरक्षण पर कोई प्रभाव न पड़े.

बता दें कि विपक्ष मोदी सरकार और बीजेपी पर आरक्षण खत्म करने की कोशिश का आरोप लगाता रहा हैं. वहीं बीजेपी और स्वयं प्रधानमंत्री इस बात को कह चुके हैं कि आरक्षण को कोई हाथ नहीं लगा सकता. विपक्ष भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहा है. अपने बयान के बाद में गडकरी ने भी यही पक्ष रखा और ट्वीट कर कहा कि आर्थिक आधार पर आरक्षण की सरकार की कोई मंशा नहीं है.

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