इंदौर । इंदौर में पकड़ी गई नशीली दवा फेंटानिल क्लोराइड के मामले में जांच एजेंसियां अब रैकेट के दूसरे सिरे की तलाश में जुट गई हैं। डायरेक्टोरेट रेवेन्यू इंटेलीजेंस (डीआरई) की जोनल टीम ने बीते सप्ताह पोलोग्राउंड स्थित इंडस्ट्रियल एरिया में एक दवा फैक्टरी से इस ड्रग की 110 करोड़ रुपए की खेप बरामद की थी। जांच में यह तो साफ हो गया है कि ड्रग फैक्टरी में बन रही थी लेकिन इसके लिए कच्चा माल कहां से सप्लाय हो रहा था, इसकी लिंक तलाशी जा रही है। नशीली दवा की खेप के साथ पकड़े गए तीनों आरोपित रिमांड पर हैं।

पूछताछ में रैकेट की लिंक अन्य दवा फैक्टरियों से भी जुड़ती दिख रही है। एजेंसियों को शक है कि बेहद नशीली इस दवा के निर्माण के लिए अन्य फैक्टरियों से कच्चा माल मंगवाया जा रहा था। मामले में डीआरआई ने दो स्थानीय लोगों डॉ. मोहम्मद सिद्दीकी और मनु गुप्ता के साथ एक मैक्सिकन नागरिक जार्ज सॉलिक को भी गिरफ्तार किया है। सिद्दीकी और सॉलिक रैकेट के मास्टरमाइंड बताए जा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, सॉलिक तैयार दवा को विदेश भेजने के लिए हैंडलर का काम भी करता था।

इस मैक्सिकन नागरिक पर डीआरआई को संदेह है कि इंदौर के अलावा कहीं और भी इसी तरह के ड्रग्स का निर्माण वह करवा रहा था। इस बारे में पूछताछ चल रही है। सूत्रों के मुताबिक, पूछताछ में पता चला है कि मार्फिन से हजार गुना ज्यादा नशीली बताई जा रही फेंटानिल को बनाने के लिए कच्चे माल के रूप में प्रयोग आने वाले केमिकल को डॉ. सिद्दीकी जुटा रहा था। इंदौर में खोली गई फैक्टरी में क्रिस्टल व लिक्विड के रूप में आने वाले केमिकल को तैयार कर फेंटानिल में बदला जाता था।

म्याऊ म्याऊ ड्रग पकड़ा था पीथमपुर से

विभाग संदेह के दायरे में आई बंद हो चुकी दवा फैक्टरियों और उन्हें जारी हुए केमिकल स्टॉक की जांच भी कर रहा है। 2016 में पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में डीआरआई ने 236 किलो एफेड्रीन पकड़ी थी। उसका निर्माण भी पीथमपुर के पास एक बंद दवा फैक्टरी को किराए पर लेकर किया जा रहा था। 2017 में सेंट्रल ब्यूरो ऑफ नारकोटिक्स ने म्याऊ म्याऊ नामक एक और ड्रग्स की खेप भी इंदौर से ही पकड़ी थी।

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