नवाज शरीफ ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद से हाथ धोते ही अपने भाई शाहबाज शरीफ के नया प्रधानमंत्री बनने की बात रखी थी। लेकिन अब नवाज शरीफ ने इससे पीछे हटने का फैसला किया है।
शाहबाज शरीफ फिलहाल पंजाब सूबे के मुख्यमंत्री हैं और, पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने पनामा पेपर्स में नाम आने के बाद नवाज शरीफ को प्रधानमंत्री पद के लिए अयोग्य करार दिया है। इसके बाद से उनके भाई शाहबाज को प्रधानमंत्री बनाए जाने की अटकलें तेज हो गई थीं।
शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन की संसदीय दल की बैठक में प्रधानमंत्री के पद के लिए शाहबाज के नाम को मंजूरी मिल गई थी। लेकिन शाहबाज नेशनल असेंबली के सदस्य नहीं हैं और उनके नेशनल असेंबली में शामिल होने तक ये जिम्मेदारी शाहिद खकान अब्बासी को सौंपी गई थी। लेकिन नवाज शरीफ ने बीते सोमवार को पत्रकारों से बात करते हुए साफ कर दिया है कि शाहबाज फिलहाल पंजाब में ही रहेंगे और नवाज शरीफ की सीट एनए 120 पर होने वाले उपचुनाव में हिस्सा नहीं लेंगे।
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर वह कौन से कारण थे जिनकी वजह से पाकिस्तान की सत्ताधारी पार्टी के फैसले में इतना बड़ा परिवर्तन आया।
पंजाब का विकास है बड़ा मुद्दा
शाहबाज शरीफ को शाहबाज स्पीड के नाम से भी जाना जाता है। और, पंजाब के सीएम को ये नाम एक चीनी नागरिक ने दिया है जो पंजाब में चल रही विकास परियोजनाओं में काम की गति से प्रभावित था। पंजाब के मुख्यमंत्री शाहबाज को अपना ये निकनेम भी खूब पसंद है।
बीते कुछ दिनों में, पार्टी नेतृत्व में ये राय बनती नजर आ रही है कि अगर शाहबाज को पंजाब से दूर करते हैं तो विकास परियोजनाएं प्रभावित होंगी। और, ये परियोजनाएं अगले चुनावों से पहले पूरी नहीं हो पाएंगी जिससे पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
पाकिस्तान के सबसे बड़े सूबे पंजाब की सत्ता शरीफ परिवार के हाथ में रही है। सत्ता अगर, शरीफ परिवार के सदस्य के हाथ में नहीं तो उनके किसी उम्मीदवार के हाथों में रही है।