
भूरिया बाई बताती है कि नर्मदा सेवा यात्रा से उनका जीवन धन्य हो गया है। पिछले 5 महीने से हर दिन माँ नर्मदा के दर्शन वे कर रही हैं। यात्रा के दौरान उन्हें खाने-पीने और रहने की कोई चिंता नहीं रही। यात्रा में फुर्सत के क्षणों में वे राम-नाम लेखन का पुण्य भी कमा रही हैं। भूरिया बाई बताती हैं कि 2 माह पूर्व जब वे सीहोर जिले के जहाजपुर ग्राम में नर्मदा सेवा यात्रा में मग्न होकर नाच रही थी, तो मुख्यमंत्री श्री चौहान की नजर उन पर पड़ गयी। मुख्यमंत्री ने स्टेज से उतरकर न केवल उन्हें गले लगाया, बल्कि उनका पुराना टूटा चश्मा देखकर नया दिला दिया। नया चश्मा मिलने से उन्हें दिखाई नहीं देने वाली समस्या से छुटकारा मिल गया। अनूपपुर जिले के ग्राम खेतगाँव में भूरिया बाई से जब चर्चा की गयी तो उन्होंने खुशी-खुशी बताया कि जब वे यात्रा में शामिल हुई थी, तो सोचा भी नहीं था कि वे पूरे 5 माह तक यात्रा के साथ चलकर अमरकंटक तक वापस पहुँचेगी। उन्हें डर था कि उम्र ज्यादा होने के कारण उन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्या आ सकती है। भूरिया बाई बताती हैं कि उन्होंने बचपन में बुजुर्गों से सुना था कि नर्मदा मैया के एक बार दर्शन से जीवन सुधर जाता है। मैं सौभाग्यशाली हूँ कि मुझे 5 महीने से रोजाना सुबह नर्मदा माँ के दर्शन हो रहे हैं।
भूरिया बाई यह भी बताती हैं कि नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान वे जिन-जिन ग्रामों में गईं, वहाँ के शासकीय कर्मचारियों, पंच और सरपंच से गाँव में अपनी उपस्थिति के लिए डायरी में लिखवा लेती है। चर्चा करने पर भूरिया बाई अपने थैले से डायरी निकालकर दिखाती है और कहती है कि ”जुग-जुग जिये मेरा शिवराज बेटा”।