ग्वालियर। मध्यप्रदेश का भिण्ड जिला परीक्षाओं में नकल करने के लिए कुख्यात है। पिछले साल बोर्ड परीक्षा में प्रदेश में सबसे ज्यादा 2200 नकलची परीक्षार्थी भिण्ड जिले में पकडे गए थे। नकल के इस कलंक को मिटाने के लिए जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन के अलावा इस बार शिक्षकों व स्वयं छात्रों ने भी वीणा उठाया है। नकल करने से मेहनती छात्रों के गिरते मनोबल और शिक्षा के स्तर को संभालने के लिए अब छात्रों ने इसकी कमान खुद संभाल ली है। नकल एक अभिशाप है का नारा देते हुए भिण्ड शहर के शासकीय और प्राइवेट स्कूलों के छात्रों ने एक रैली निकाली और नकल नहीं करने की शपथ ली। तथा यह रैली फिर तहसील स्तर पर भी निकाली जा रही है।
परीक्षा में नकल करने को लेकर छात्र और उनके अभिभावक किसी भी हद तक जाने को तैयार रहते है। पिछले साल अटेर के विण्डवा में नकल रोकने पहुंचे अधिकारियों पर पथराव हुआ था, जिसके बाद पुलिस ने फायरिंग और अश्रुगैस के गोले चलाए तब कही जाकर अधिकारी सुरक्षित निकल पाए थे। कई परीक्षा केन्द्रों पर कब्जा भी कर लिया गया था। नकल के लिए छात्र, अभिभावक व शिक्षा माफिया भी काफी हद तक जिम्मेदार है। जिन स्कूल संचालकों के पास न स्कूल भवन है और ना ही पढाने वाला स्टाफ ऐसे स्कूल मात्र कागजों में संचालित है उन स्कूलों के छात्र पूरी तरह नकल पर ही आश्रित रहते है। इन स्कूलों में वे ही छात्र प्रवेश लेते हैं जिन्हें परीक्षा में पास कराने की गारण्टी दी जाती है। ऐसे स्कूल संचालक छात्रों से पास कराने के अतिरिक्त पैसे लेते है।
कलेक्टर इलैया राजा टी ने कहा कि परीक्षाओं में नकल होना सामाजिक अभिशाप है यह देश की उन्नति में सबसे बडी बाधा है। यदि शिक्षक चाहें तो वह इस अभिशाप को समाप्त किया जा सकता है। शिक्षक ही राष्ट्र निर्माता है। कलेक्टर ने शिक्षकों से कहा कि वह नकल रहित परीक्षा करवाकर समाज को सही दिशा दें। उन्होंने कहा कि अच्छे समाज की कल्पना तभी की जा सकती है जब बच्चों को बुनियादी शिक्षा सही तरीके से दी जाए। नकल ये हम बच्चे को पास कर डिग्री तो दिला सकते हैं, लेकिन उसे संस्कार नहीं दिला सकते। बच्चों को अच्छी शिक्षा मिलेगी तो वह किसी भी प्रतियोगिता में शामिल होकर अपना व परिवार का भविष्य बना सकता है। नकल करना व करवाना दोनों अभिशाप है। नकल समाज में एक नासूर के समान है। शिक्षक इतनी बडी उपाधि होती है कि वह हर बडे काम को आसान कर सकते है। अगर शिक्षक पूरे समर्पण भाव से अपना दायित्व निभाए तो नकल रहित परीक्षा कोई बडा काम नहीं है।
मध्यप्रदेश के चंबल संभाग का भिण्ड जिला नकल के लिए कुख्यात है। नकल के इस बदनामी के दाग को मिटाने के लिए भिण्ड जिला प्रशासन ने एक अनूठी पहल कर निःशुल्क कोचिंग की व्यवस्था कर छात्रों को पढाने का वीणा उठाया है। नए साल पर जिला प्रशासन ने छात्रों को यह कोचिंग का तोहफा दिया है। इस कोचिंग में हाईस्कूल व हायर सेकंडरी के 514 के छात्र-छात्राएं पढाई कर लाभ प्राप्त कर रहे है।
शिक्षा जीवन की एक कडी है जब तक ठीक ढग से शिक्षा प्राप्त नहीं करते तब तक समाज उन्नति नहीं कर सकता। इस निःशुल्क कोचिंग में गरीब परिवारों के बच्चे सर्वाधिक लाभान्वित हो रहे हैं। निःशुल्क कोचिंग की सुविधा प्रदान करने की दिशा में भिण्ड जिला मध्यप्रदेश में पहला जिला है जहां यह व्यव्स्था की गई है। इस कोचिंग में बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी कराई जा रही है।। छात्र-छात्रायें बिषयबार तैयारी कर रहे हैं और परीक्षाओं में अपेक्षानुरुप सफलता प्राप्त करने के लिए प्रयासरत है। इस बार की परीक्षायें पूरी तरह नकल रहित होंगी। इसके लिए अभी से छात्र पूरी तरह से पढाई में जुट गए हैं। जिन छात्रों को जिस विषय में कठिनाई आ रही है वह इस कोचिंग में आकर समाधान पा रहे है।
कोचिंग में जिले के सर्वश्रेष्ठ शिक्षक अध्यापन कार्य करा रहे हैं जिससे छात्रों को आशातीत सफलता मिल सकेंगी। इस निःशुल्क कोचिंग में विषय विशेषज्ञ शिक्षकों द्वारा अध्यापन कार्य कराया जा रहा है। जिससे परीक्षा को दृष्टिगत रखते हुए छात्र परीक्षा की तैयारी कर सकें। हाईस्कूल के छात्र-छात्रायें सुवह 8 से 10 बजे तक एवं हायर सेकंडरी की पढाई शाम 5 बजे से 7 बजे तक चल रही है। इस कोचिंग का लाभ शासकीय स्कूल व प्राइवेट स्कूलों में पढने वाले छात्र-छात्राएं ले रहे हैं। हॉल में लाइटिंग एवे सुरक्षा के लिए पुलिस पेट्रोलिंग की व्यवस्था भी की गई है।
उत्कृष्ट स्कूल क्रमांक 1 के प्राचार्य नरेन्द्र सिंह भदौरिया ने आज यहां बताया कि जिला प्रशासन की पहल पर शुरु की गई निःशुल्क संकल्प कोचिंग में छात्र-छात्राओं को निःशुल्क प्रवेश दिया जा रहा है और उन्हें प्रवेश के लिए आईकार्ड भी बनाकर दिए गए है। कोचिंग में हाईस्कूल के 250 छात्र, 93 छात्राएं और हायर सेकंडरी के 106 छात्र और 65 छात्राएं पढने के लिए नियमित आ रहे है।

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