बॉलिवुड ऐक्ट्रेस तनुश्री दत्ता कोरोना वायरस के दौरान अमेरिका में थीं। कुछ दिनों पहले ही वह भारत लौटी हैं। हाथरस गैंगरेप घटना से बेहद दुःखी और विचलित तनुश्री ने नवभारतटाइम्स डॉट कॉम के साथ फेसबुक लाइव में हुई खास बातचीत के दौरान कई अहम बातें कहीं, जिन पर हमें गौर करना चाहिए। तनुश्री कहती हैं कि हमारे देश के बच्चे-बेटे हैवान क्यों बनते जा रहे हैं, हाथरस की घटनाएं न हों, इसलिए हमें इस बात का पता लगाना होगा कि देश के बच्चों के साथ क्या गलत हो रहा है, जिसकी वजह से वह रेप-गैंगरेप जैसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं।
क्यों महिलाओं का रक्षक ही बन रहा है भक्षक
तनुश्री बताती हैं, ‘मैं जब भी महिलाओं पर होने वाले किसी भी तरह के शोषण से जुड़ी घटनाएं सुनती हूं तो मेरा दिल बहुत दुखता है। यह जो देश की लड़कियां हैं, इनको हमसे बहुत उम्मीद है। एक लड़की या औरत शारीरिक रूप से मर्दों से कमजोर होती है और आदमी की फिजिकल शक्ति ज्यादा होती है, यह इसलिए है ताकि मर्द, औरतों की इफाजत कर सकें। सवाल यह है कि क्यों मर्द रक्षा करने की बजाए महिलाओं का यौन शोषण कर रहे हैं।’
रेप – गैंगरेप की घटना के हम सब जिम्मेदार
‘क्यों हमारे समाज में बच्चे – मर्द हैवान बनते जा रहे हैं, ऐसा हो रहा है तो उत्तरदायित्व हम सबका है। अब यह रेप-गैंगरेप की घटना चाहे हमारे घर, समाज, राज्य या देश के किसी भी कोने में हो इसका दायित्व हमें ही लेना होगा। हमें इसकी जिम्मेदारी उठानी होगी। हम जिस समाज में रह रहे हैं, अगर उसी समाज में किसी भी उम्र की फीमेल के साथ दुष्कर्म हो रही हैं तो कुछ लोगों के दिमाग में बहुत गंदगी और विभत्स्ता है।’
क्यों हैवान बन रहे हैं हमारे बेटे
‘बच्चा तो मासूम ही पैदा होता है, उसके मन में कोई गंदगी नहीं होती है। हमें यह समझने-जानने और सुधारने की जरूरत है कि क्यों और किस तरह मासूम पैदा हुए बच्चे के मन में हैवानियत आई, क्या हुआ था उस बच्चे के साथ, अगर हमारे समाज में इस तरह का कुछ हो रहा है, जिससे देश के बेटे हैवान बन रहे हैं तो हम सबका दायित्व है कि उस पर गंभीरता से तुरंत काम करना होगा।’
मंत्री अपनी कुर्सी बचा रहे हैं
‘हम कौन सी सदी में रह रहे हैं, हम चांद पर जा रहे हैं, लेकिन आज भी गैंगरेप जैसी चीजें हो रही हैं। हमारे समाज में जब भी कोई ऐसी घटना होती है, दोषी को ही प्रॉटेक्ट करने की कोशिश होती है, यह भी गलत बात है। निर्भया, हैदराबाद, कठुआ और अन्य गैंगरेप की घटनाओं के बाद सिर्फ मोर्चे निकलते हैं, कैंडल लाइट मार्च होते हैं और संसद तक बात पहुंचती है, मंत्रियों तक बात पहुंचती है, तब वह भी बाहर निकल आते हैं, किसी को अपनी कुर्सी बचानी होती है तो किसी को कुर्सी पानी होती है। क्या करोगे ऐसी कुर्सी का, जब इंसानियत ही खो देंगे तो कुर्सी का क्या होगा।’
रेप के बाद कुछ लड़कियां आत्महत्या कर लेती हैं, कुछ को मार दिया जाता है
‘मंत्री लोग रेप जैसी घटनाओं पर भी कुर्सी, शोहरत, पावर और पैसे के पीछे भागते हैं और गैंगरेप जैसी सीना चीर देने वाली घटना पर भी पॉलिटिक्स करते हैं। लोग यह नहीं समझ नहीं रहे हैं कि यह सब क्षण पर का है, इंसानियत भूल रहे हैं लोग। किसी की पीड़ा को समझ नहीं रहे। रेप के बाद कुछ पीड़ित महिलाएं खुद मर जाती हैं, कुछ को मार दिया जाता है। हमारे देश में यह गलत हो रहा है।’
गैंगरेप पर भी पॉलिटिक्स शुरू हो जाती है
‘कुछ शरीफ लोग भी इन बातों को बढ़ावा देते हैं। शरीफ लोग दोषियों को शरण देते हैं, उनके साथ काम करते हैं, उन्हें बढ़ावा देते हैं, बुरे लोगों को बढ़ावा देने वालों और बुरा करने वालों में कोई फर्क नहीं हैं, यह ठीक बात नहीं है। जिन औरतों के पास किसी भी तरह का सपॉर्ट है और वह सेफ हैं, उन्हें भी कोई फर्क नहीं पड़ता, वह चुप रहती हैं। पार्टी पॉलिटिक्स शुरू हो जाती हैं, हमें देश चलाने नेताओं से जवाब चाहिए।’
मोटिवेशन नहीं मिलता तो कभी-कभी थक जाती हूं
‘सोशल मुद्दों को लेकर आवाज उठाते-उठाते, कभी-कभी मैं भी थक जाती हूं, लोग आते हैं, जुड़ जाते हैं, कभी-कभार सोशल मीडिया में ट्वीट भी कर देते हैं, थोड़ा हंगामा होता है, सांत्वना देते हैं, लेकिन माहौल बदलता नहीं है। माहौल नहीं बदलता तो मोटिवेशन भी नहीं मिलता, बदलाव हो तो और काम करने का मन हो।’
कई नेताओं पर यौन उत्पीड़न, क्राइम, मर्डर और रॉबरी के केस
‘बदलाव हर किसी के अंदर से आएगा, हर किसी को खुद बदलना होगा। मानसिक विकारों को लेकर होने वाले दोषों के लिए कोई पुलिस, सरकार, मंत्री कुछ नहीं कर पाएंगे। उनसे जो मांग है, वह अपनी जगह है, लेकिन पब्लिक से कह रही हूं हमें इस मानसिक बीमारी को खत्म करना होगा। खुद को पहले बदलना होगा। पब्लिक ऐसे लोगों को वोट देकर अपना नेता चुनती है, जिन लोगों पर कई तरह के केस चल रहे होते हैं। हमारे देश की लगभग सभी पार्टियों के कई नेताओं पर यौन उत्पीड़न, क्राइम अगेंस्ट वुमन, मर्डर और रॉबरी के केस हैं। हमें कास्ट-धर्म की पॉलिटिक्स से बचना होगा।’
दोषी कितना भी पावर वाला हो, उनसे दूरी बनाएं जनता
‘हम सब जनता को तत्काल प्रभाव से किसी भी तरह के दोष में लिप्त लोगों को सराहना, उनका साथ देना, उनके साथ काम या व्यपार करना बंद करना होगा, भले उनके पास कितना भी पावर, शोहरत, पैसा और वह आपके अपने धर्म या जाति के हों। हर मामले में खुद से हर बार. बार-बार सवाल पूछें कि इंसानियत क्या कहती है।