नई दिल्ली। देश की आर्थिक तरक्की की रफ्तार बताने वाले जीडीपी के आंकड़े आ गए हैं। वित्त वर्ष 2013 की चौथी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 4.8 फीसदी रही है। जबकि जबकि 2013 में ग्रोथ 5 फीसदी है जो पिछले दस सालों में सबसे कम है। आपको बता दें कि ये आंकड़े रेटिंग एजेंसियों के अनुमान के मुताबिक ही आए हैं।

विनिर्माण, कृषि और खनन क्षेत्र के निराशाजनक प्रदर्शन की वजह से 2012-13 की अंतिम तिमाही में देश के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में महज 4.8 प्रतिशत की बढोतरी दर्ज की गई। जबकि वित्त वर्ष के दौरान यह दशक के न्यूनतम स्तर पांच प्रतिशत की वृद्धि ही हासिल कर पाई। केंद्रीय सांख्यिकी संगठन सीएसओए की तरफ से आज साल 2012-13 की अंतिम तिमाही और वित्त वर्ष के जारी आंकडों के अनुसार जनवरी, मार्च 2013 में यह एक तिमाही पहले के 4.7 प्रतिशत की तुलना मे मामूली सुधार में जरूर रही लेकिन 2011-12 की तीसरी तिमाही में यह 5.1 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ी थी।

वर्ष 2012-13 में अर्थव्यवस्था 2002-03 के चार प्रतिशत के बाद के निचले स्तर पर है। वित्त वर्ष 2011-12 में जीडीपी में 6.2 प्रतिशत और इससे पहले के वर्ष में 9.3 प्रतिशत की बढोतरी दर्ज की गई थी। 2012-13 की पहली और दूसरी तिमाही में यह क्रमश 5.4 और 5.2 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ी थी। आंकड़ों के अनुसार जनवरी-मार्च 2013 में कृषि क्षेत्र में पहले के दो प्रतिशत की तुलना में 1.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी रही। वित्त वर्ष के दौरान यह 3.6 प्रतिशत के मुकाबले 1.9 प्रतिशत की रफ्तार से ही आगे बढ़ा।

जीडीपी आंकड़े का असर शेयर बाजार पर भी पड़ा है। आंकड़ों के सामने आते ही शेयर बाजार में भी गिरावट दर्ज की गई। आपको बता दें कि वित्त वर्ष 2013 की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी ग्रोथ 5.5 फीसदी, दूसरी तिमाही में 5.3 फीसदी और तीसरी तिमाही में 4.5 फीसदी रही थी।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उम्मीद जताई थी कि वैश्विक और घरेलू वजह से ग्रोथ 5 फीसदी पर पहुंची है। लेकिन ग्रोथ बढ़ाने के लिए सरकार ने कई फैसले किए हैं और सरकार को 8 फीसदी ग्रोथ हासिल करने का पूरा भरोसा है। जबकि आरबीआई के गर्वनर डी सुब्बाराव ने कहा था कि इस साल 5 फीसदी से ज्यादा ग्रोथ की उम्मीद नहीं है। उन्होंने भी माना था कि ये 10 सालों में सबसे कम होगी।

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