भोपाल । मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में लगे नेत्र शिविर में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद संक्रमण के कारण आंखों की दृष्टि गंवाने वालों को राज्य सरकार पांच हजार रुपये मासिक पेंशन देगी। साथ ही इस पूरे घटनाक्रम की उच्चस्तरीय जांच कराई जाएगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को विधानसभा में यह घोषणा की। संक्रमण के कारण 40 मरीजों की आंखों की रोशनी चली गई है। दिल्ली एम्स की टीम ने इन मरीजों का हाल देखने के बाद कहा है कि इन सभी की आंखों में रोशनी लौटना अब मुश्किल है।
विपक्षी कांग्रेस ने बड़वानी नेत्र शिविर में हुई लापरवाही को लेकर मंगलवार को विधानसभा में स्थगन प्रस्ताव लाया और उपयोग में लाई गई दवाओं के ‘अमानक’ होने का आरोप लगाते हुए स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा का इस्तीफा मांगा। स्वास्थ्य मंत्री मिश्रा ने उलटे कांग्रेस से सवाल ही सवाल कर दिया, “1984 में हुए भोपाल गैस कांड के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह या उस सरकार के किसी मंत्री ने इस्तीफा दिया था क्या?” स्वास्थ्य मंत्री के बेतुके जवाब और मुख्यमंत्री के सदन में मौजूद न होने पर कांग्रेस विधायकों बहिर्गमन किया। बाद में विपक्ष की गैरमौजूदगी में मुख्यमंत्री ने कहा कि बड़वानी की घटना दुखद है, और अब आने वाले समय में किसी भी स्थान पर नेत्र शिविर नहीं लगेगा।
उन्होंने आगे कहा कि पीड़ितों की एक आंख की रोशनी प्रभावित हुई है। सरकार ने रोशनी गंवाने वालों को दो-दो लाख रुपये की आर्थिक मदद और उपचार का इंतजाम किया है। वहीं इस घटना की तह तक जाना आवश्यक है, लिहाजा इसकी उच्चस्तरीय जांच होगी। जांच में मध्य प्रदेश शासन के अपर मुख्य सचिव, इंदौर मेडिकल कॉलेज के प्रतिनिधि और भोपाल एम्स के नेत्र विशेषज्ञ शामिल होंगे। साथ ही प्रभावितों को आजीवन पांच हजार रुपये की मासिक पेंशन दी जाएगी।
बड़वानी के जिला अस्पताल में नवंबर में लगाए गए नेत्र शिविर में कुल 86 लोगों का मोतियाबिंद ऑपरेशन हुआ था। इनमें से 45 मरीजों की आंखों में संक्रमण होने पर उन्हें इंदौर के अरविंदो और एमवाइएच अस्पताल में भर्ती कराया गया है। बीते रविवार को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के नेत्र विशेषज्ञों के दल ने मरीजों की आंखों की जांच की थी और कहा था कि ऑपरेशन के दौरान प्रयुक्त आई वाश फ्लूड के प्रदूषित होने के कारण 40 मरीजों की आंखों में संक्रमण हो गया है। इनकी आंखों में रोशनी लौटना अब मुश्किल है।