वाम दलों के समर्थन वाले किसान एवं मजदूर संगठनों की ओर से बुधवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में रैली का आयोजन किया गया है. ऐसा पहली बार हो रहा है जब किसान एवं मजदूर किसी एक रैली में एकजुट होकर हिस्सा लेंगे. आने वाले दिनों में इसी तर्ज पर कई अन्य रैलियां होंगी. पांच सितंबर की रैली के आयोजकों ने बताया कि माकपा के बैनर तले आयोजित किसान रैलियों के माध्यम से देश में किसान और मजदूरों की बदहाली के मुद्दे लगातार उठाये जाते रहेंगे. इसकी शुरुआत रामलीला मैदान की रैली से होगी.

वाम समर्थित मजदूर संगठन ‘सीटू’ के महासचिव तपन सन ने मंगलवार को बताया कि वामदलों और तमाम किसान संगठनों के साझा मंच के रूप में गठित ‘मजदूर किसान संघर्ष मोर्चा’ रामलीला मैदान से भविष्य के आंदोलनों की रूपरेखा घोषित करेगा. सेन ने कहा कि आजाद भारत में पहली बार सरकार के खिलाफ आयोजित रैली में किसान और मजदूर एकजुट होकर हिस्सा लेंगे.

उन्होंने कहा कि यह अंतिम नहीं बल्कि पहली रैली होगी. इसमें सरकार की किसान मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ आंदोलन के दूसरे चरण की कार्ययोजना से अवगत कराया जायेगा. सेन ने कहा कि मौजूदा केन्द्र सरकार सिर्फ धनी और कार्पोरेट घरानों के हितों को साधने वाली नीतियां बना रही है. इसका सीधा असर गरीब मजदूरों और किसानों पर हो रहा है. सेन ने बताया कि रैली में हिस्सा लेने के लिये देश भर से किसान और कामगारों के दिल्ली पहुंचने का सिलसिला पिछले कुछ दिनों से जारी है.इसमें वामदलों और किसान मजदूर संगठनों के नेता हिस्सा लेंगे.

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