नई दिल्ली। पिछले साल इन्हीं दिनों दिल्ली में कोरोना दस्तक दे चुका था। मार्च की शुरुआत से ही पाबंदियों का सिलसिला शुरू हो गया था और फिर 24 मार्च से लॉकडाउन ही लग गया, जिसकी वजह से लोग अपने घरों में बंद रहने को मजबूर हो गए। केवल आवश्यक सेवाओं से जुड़े वही लोग अपने घरों से निकल पा रहे थे, जिन्हें पुलिस और प्रशासन की तरफ से विशेष पास जारी किए थे। मई के अंत तक दिल्ली की सड़कों पर कमोबेश सन्नाटा ही पसरा रहा और जब अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हुई, तभी धीरे-धीरे लोग अपने घरों से निकल सके।

बीते साल कुल 1,38,02,975 चालान काटे गए
ट्रैफिक पुलिस के स्पेशल कमिश्नर ताज हसन ने बताया कि 2019 में जहां अलग-अलग ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन में कुल 1,05,80,249 चालान काटे गए थे, वहीं पिछले साल कुल 1,38,02,975 चालान काटे गए। सबसे खास बात यह है कि इस दौरान ट्रैफिक रूल तोड़ने वाले लोगों से ट्रैफिक पुलिसकर्मियों का आमना-सामना बेहद कम हो गया, क्योंकि ज्यादातर चालान कैमरों के जरिए मिले सबूत के आधार पर काटे गए। यही वजह रही कि 2019 में जहां ट्रैफिक पुलिस ने 51 लाख नोटिस चालान जारी किए थे, वहीं 2020 में नोटिस चालानों की संख्या दोगुनी से भी ज्यादा बढ़कर 1.27 करोड़ तक पहुंच गई।

2020 में मैनुअल चालान में 4 गुना की कमी
वहीं दूसरी ओर 2019 में 54 लाख से ज्यादा ऑनस्पॉट चालान काटे गए थे, लेकिन 2020 में उनकी संख्या घटकर 10 लाख ही रह गई। यानी 2019 के मुकाबले पिछले साल चालान तो ज्यादा कटे, लेकिन ट्रैफिक पुलिस के द्वारा मैनुअल तरीके से काटे जाने वाले चालानों की संख्या में चार गुना तक की कमी आ गई। इससे न केवल भ्रष्टाचार के आरोपों में कमी आई, बल्कि ज्यादातर चालानों का निपटारा कोर्ट के द्वारा किए जाने की वजह से चालान के निपटारे में ट्रैफिक पुलिस की भूमिका भी कम हो गई और कोर्ट के द्वारा ही जुर्माना लगाया गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *