ग्वालियर। मध्यप्रदेश का नंबर 1 भिण्ड का शासकीय जिला अस्पताल में मरीजों को पर्चा बनवाने के लिए पंजीयन कक्ष के बाहर लंबी लाइन में खड़ा नहीं होना पड़ेगा और न ही ओपीडी में जाकर डॉक्टर को ढूढ़ना पड़ेगा। बल्कि मरीज घर से रजिस्ट्रेशन कराकर डॉक्टर से अपॉइंटमेंट लेकर सीधा दिखाने आ सकेगा। जिला अस्पताल 1 जनवरी 2018 से ई-हॉस्पिटल बन जाएगा। दिल्ली के एम्स की तर्ज पर मरीजों को ऑनलाइन सुविधाएं मिलेगी।
सिविल सर्जन डॉ अजीत मिश्रा ने बताया कि भिण्ड का जिला अस्पताल ई-हॉस्पिटल होने से आप घर ऑनलाइन घर से देख सकेंगे कि आज कौन-कौन से डॉक्टर ड्यूटी पर हैं और कौन छुट्टी पर हैं। इसी के साथ आपको किस डॉक्टर से अपॉइंटमेंट लेना है यह देख सकेंगे। वहीं अस्पताल में वेकेंसी कितनी निकली हैं। यह भी ऑनलाइन नजर आएगा। सिविल सर्जन के मुताबिक मरीजों की स्थिति भी ऑनलाइन दिखाई देगी कि कौन सा मरीज किस पलंग पर भर्ती है। यह सिस्टम रिसेप्शनिस्ट की तर्ज पर काम करेगा। इसके अलावा मरीजों का रिकार्ड तो देखा ही जा सकेगा, बीमारियों का रिकार्ड अपडेट रहेगा, कि किस रोग के कितने मरीज हैं।
सिविल सर्जन डॉ मिश्रा के मुताबिक नई साल से ई-हॉस्पिटल होने से ऑनलाइन अपॉइंटमेंट लिए जाएंगे। मरीज का रजिस्ट्रेशन घर बैठकर ही ऑनलाइन करा सकेंगे। सिविल सर्जन जिस तरह आप भिंड में बैठकर दिल्ली के एम्स में अपना पंजीयन करा सकते हैं, उसी तरह भिण्ड अस्पताल में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन हो सकेंगे।

सिविल सर्जन डाॅं. अजीत मिश्रा ने बताया कि भिण्ड जिला अस्पताल मप्र में दूसरी बार नंबर 1 की ओर अग्रसर है। जिला अस्पताल देश में नंबर 1 बनने की तैयारी कर रहा है। सिविल सर्जन के मुताबिक कायाकल्प अभियान के तहत दिसंबर महीने में सेंट्रल की टीम आकर निरीक्षण करेगी। यह टीम निरीक्षण कर देखेगी कि जिला अस्पताल की क्वालिटी क्या है। सिविल सर्जन के मुताबिक जिला अस्पताल इसमें आ जाता है तो 300 बेड के लिए 5 हजार रुपए प्रति पलंग के हिसाब से सालाना अतिरिक्त मिलेगा। जिससे जिला अस्पताल में मरीजों को और भी बेहतर सुविधाएं दी सकेगी।
सिविल सर्जन डाॅं. मिश्रा के मुताबिक जिला अस्पताल में आउट डोर सेक्शन यानी ब्राह्म रोगी कक्ष और इंडोर अस्पताल में भर्ती मरीजों का समस्त रिकार्ड ऑनलाइन रहेगा। इसके अलावा ब्लड बैंक को भी ऑनलाइन किया जाएगा। सिविल सर्जन के मुताबिक इसके लिए प्रबंधन ने एनआईसी भिण्ड में ऑनलाइन का सॉफ्टवेयर बनाने के लिए एप्लाई कर दिया है। इसकी फीस करीब 80 हजार अस्पताल प्रबंधन की ओर से जमा कर दी गई है।
भिण्ड के शासकीय जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन डाॅं. अजीत मिश्रा ने बताया कि जिला अस्पताल में एक जनवरी से ऑनलाइन सुविधा हो जाएंगी। मरीज दिल्ली के एम्स की तर्ज पर घर से अपना पंजीयन करा सकेंगे। साथ ही वह अस्पताल में भर्ती मरीज के पलंग को भी लोग ऑनलाइन देख सकेंगे।
भिण्ड अस्पताल की व्यवस्थाओं को देखने के लिए 16 नबम्वर को लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की प्रमुख सचिव गौरी सिंह स्वास्थ्य विभाग की 26 सदस्यीय टीम के साथ भिण्ड आई थी। उन्होंने कहा था कि भिण्ड अस्पताल में मरीजों के लिए जो कमरे बनाए गए है वह किसी फाइव स्टार होटल से कम नहीं है। उनके साथ ग्वालियर, दतिया, मुरैना, श्योपुर, के कलेक्टर व इन जिलों की स्वास्थ्य टीम ने भिण्ड अस्पताल का जायजा लिया। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री रुस्तम सिंह भी भिण्ड अस्पताल को देख चुके है। भिण्ड का अस्पताल प्रदेश के सरकारी अस्पतालों के लिए माॅडल बन गया है। कल प्रदेश के शाजापुर की डिप्टी कलेक्टर कलावती व्यास, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) जेएल सोढी, सिविल सर्जन सीपी जैयसवाल ने भिण्ड अस्पताल का बारीकी से निरीक्षण किया। भिण्ड अस्पताल प्रदेश का माॅडल अस्पताल घोषित होने के बाद अब अन्य जिलों के भी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, सिविल सर्जन भिण्ड आकर अस्पताल की व्यवस्थाओं को देखेंगे। भिण्ड अस्पताल में रोगियों के लिए बनाए गए कमरों को देखकर शाजापुर की डिप्टी कलेक्टर कलावती ने कहा कि वह कभी बीमार हुई तो वह भिण्ड अस्पताल में आकर ही भर्ती होंगी।

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