ग्वालियर। विशेष न्यायाधीश डकैती दीपक कुमार अग्रवाल ने आज न्यायिक अभिरक्षा में जेल में निरुद्ध डकैत अरविन्दसिंह गुर्जर निवासी ग्राम पहलन थाना बरेढ जिला इटावा उत्तरप्रदेश को तत्कालीन मध्यप्रदेश सडक परिवहन निगम भिण्ड डिपो के एक लिपिकीय कर्मचारी भगवत सहाय औरेगाबादी के फिरौती बसूलने केे उद्देश्य से अपहरण के मामले में आजीवन कारावास तथा 10 हजार रुपये के अर्थदण्ड की सजा सुनाई है।
भिण्ड जिला न्यायालय के विशेष लोक अभियोजक ज्ञानेन्द्रसिंह कुशवाह ने बताया कि 23 मार्च 2000 को मध्यप्रदेश सडक परिवहन निगम भिण्ड डिपो के एक लिपिकीय कर्मचारी भगवत सहाय औरेगाबादी को आरोपी दस्यु सरगना अरविन्द गुर्जर के सहयोगी हार्नियां का इलाज कराने के बहाने अपने साथ भिण्ड से इटावा उत्तरप्रदेश ले गया। तथा उसे डकैत अरविन्द गुर्जर को सौंप दिया था। 31 मार्च 2000 को भिण्ड देहात थाना पुलिस ने इस मामले में गुम इंसान का अपराध दर्ज किया। भिण्ड देहात थाना पुलिस ने मामले की जॉच के बाद इस आशय के साक्ष्य एकत्रित की, कि दस्यु सरगना अरविन्द गुर्जर ने ही फिरौती मांगने की गरज से अपने साथी के साथ मिलकर भगवतसहाय औरेगाबादी का अपहरण करवाया है। इस पर पुलिस ने 2 अप्रैल 2000 को आरोपी दस्यु सरगना अरविन्द गुर्जर के विरुद्ध धारा 364 ए भादवि का अपराध पंजीवद्ध किया गया। आरोपी अरविन्द गुर्जर ने फरियादी भगवतसहाय औरंगाबादी के घर इस आशय का पत्र भिजवाया कि 4 लाख 51 हजार रुपये देने पर भगवतसहाय को छोड दिया जायेगा। आरोपी डकैत अरविन्द गुर्जर के खिलाफ न्यायालय में फरारी में अभियोग पत्र पेश किया किया। 7 जून 2005 को आरोपी अन्य प्रकरण में जब भिण्ड न्यायालय में उपस्थित हुआ तब उसे इस मामले में जेल भेजा गया। और उसके विरुद्ध न्यायालय में धारा 364 ए भादवि सहपठित धारा 11,13 डकैती अधिनियम के तहत पूरक अभियोग पत्र पेश किया गया। मामले में फरियादी भगवतसहाय औरंगाबादी की आरोपी दस्यु अरविन्द गुर्जर को एक लाख रुपये की फिरौती देने पर रिहाई हो सकी।
मामले में राज्य शासन की ओर से पैरवी कर रहे विशेष लोक अभियोजक ज्ञानेन्दसिंह के अनुसार प्रकरण में विचारण के दौरान अभियोजन पक्ष के एक साक्षी धर्मेश कुमार के प्रतिपरीक्षण के समय 26 अगस्त 2011 को आरोपी न्यायालय की अनुमति से पेशाब के बहाने न्यायालय से बाहर आया तथा उसने प्रकरण के फरियादी अपहृत भगवतसहाय को धमकाया था, जिसे न्यायालय के संज्ञान में लाये जाने के बाद न्यायालय ने माना कि आरोपी जो कि पुलिस अभिरक्षा में था, प्रार्थी भगवतसहाय को धमकाने का प्रयास किया। मामले में उपस्थित तथ्यों, साक्ष्यों विवेचना के बाद न्यायालय ने आरोपी को आवीवन कारावास तथा 10 हजार रुपये के अर्थदण्ड की सजा सुनाई। यहां जान लेना मुनासिब होगा कि आरोपी 7 जून 2005 से न्यायिक अभिरक्षा में है।