नई दिल्ली | सर्वोच्च न्यायालय ने 1993 के बम विस्फोट मामले में आयुध अधिनियम के तहत दोषी ठहराए गए बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त को आत्मसमर्पण के लिए बुधवार को अतिरक्त चार सप्ताह का समय दे दिया। संजय ने हालांकि अपनी फिल्में पूरी करने के लिए छह महीने का अतिरिक्त समय मांगा था, लेकिन न्यायमूर्ति पी. सतशिवम तथा न्यायमूर्ति बी. एस. चौहान की पीठ ने उन्हें आत्मसमर्पण करने के लिए केवल चार सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया। साथ ही यह भी कहा कि आगे इसमें विस्तार नहीं किया जाएगा।
न्यायालय ने कहा कि चार सप्ताह का समय 18 अप्रैल से शुरू होगा। सुनवाई की शुरुआत में न्यायालय ने वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे से कहा, “आप यह नहीं कह सकते कि आपके मुवक्किल स्वयं को दोषी ठहराए जाने और मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित होने को लेकर अनभिज्ञ थे।” न्यायालय ने पूछा, “क्या आपको (साल्वे) या संजय की फिल्म परियोजनाओं पर 278 करोड़ रुपये लगाने वालों को नहीं मालूम था कि बॉलीवुड अभिनेता की अपील पर फैसला रुका हुआ है?” सुनवाई की शुरुआत में साल्वे ने न्यायालय से कहा था कि वह कोई कानूनी सवाल नहीं उठा रहे हैं, बल्कि सिर्फ मानवता के आधार पर आत्मसमर्पण की अवधि में विस्तार का अनुरोध कर रहे हैं। वहीं, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से न्यायालय में पेश हुए वकील अतिरिक्त महाधिवक्ता हरेन रावल ने फिल्में पूरी करने के नाम पर आत्मसमर्पण करने के लिए छह माह के अतिरिक्त समय की संजय की मांग का यह कहते हुए विरोध किया कि इससे अन्य दोषी भी आत्मसमर्पण करने के लिए अतिरिक्त समय की मांग करेंगे। न्यायालय ने 21 मार्च को संजय को अवैध हथियार रखने के लिए आयुध अधिनियम के तहत दोषी ठहराया था। न्यायालय ने हालांकि इस मामले में उनकी छह साल की सजा घटाकर पांच साल कर दी थी। संजय पहले ही डेढ़ साल की सजा पूरी कर चुके हैं। अब उन्हें साढ़े तीन साल की सजा जेल में काटनी है।