इंदौर। हाईपरटेंशन (उच्च रक्तचाप) केवल वयस्क लोगों की बीमारी नहीं है, बच्चे भी इससे पीड़ित हो सकते हैं। यह भी किडनी की बीमारी का एक कारण हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि तीन साल की आयु के बाद बच्चों की साल में एक बार अवश्य बीपी जांच कराएं।

यह बात पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजी कॉन्फ्रेंस में दिल्ली से आईं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. शोभा शर्मा ने कही। कॉन्फ्रेंस में सौ से अधिक पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजिस्ट शामिल हुए जिन्होंने बच्चों में होने वाली किडनी की बीमारी व इसके उपचार की तकनीक पर चर्चा की।

डॉ. शर्मा ने कहा कि छोटे बच्चों में हाईपरटेंशन होना हृदय रोग, किडनी रोग या हार्मोंस के असंतुलित होने का संकेत हो सकता है। अधिक वजन वाले बच्चों में हाईपरटेंशन होने की आशंका अधिक होती है। माता-पिता को अपने बच्चों की गतिविधियों की जानकारी रखना जरूरी है। बच्चों की अधिक देर तक पेशाब रोककर रखने की आदत परेशानी पैदा कर सकती है। इससे यूटीआई संक्रमण हो सकता है।

लड़कियों को अधिक समस्या

नई दिल्ली से आईं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. स्वाति भारद्वाज ने कहा कई बच्चे टीवी देखने या मोबाइल फोन में व्यस्त रहने के कारण लंबे समय तक पेशाब करने से बचते हैं। बच्चों की यह आदत खतरनाक साबित हो सकती है वे यूटीआई से पीड़ित हो सकते हैं। संक्रमण बच्चों में एक सामान्य समस्या होती है। यह लड़कों की तुलना में लड़कियों को अधिक है। 11 से कम उम्र की सात से आठ प्रतिशत लड़कियां यूटीआई से पीड़ित हैं। इसका समय पर उपचार जरूरी है।

लंबे समय तक बच्चों को न दें कोई सिरप

दिल्ली की डॉ. अदिति सिन्हा ने बताया कि बार-बार बुखार आने, मलेरिया, डेंगू होने पर या डॉक्टर की अनुमति के बगैर बच्चों को सिरप देते रहने से भी किडनी की बीमारी होने का खतरा रहता है। उन्होंने कहा कि पहले की तुलना में देश में बाल रोग विशेषज्ञों की संख्या बढ़ रही है।

वहीं, जांच व किडनी के इलाज की तकनीक भी पहले से बेहतर हो रही है। सम्मेलन की चेयरपर्सन डॉ. शिल्पा सक्सेना ने कहा कि बच्चों को कब्ज की शिकायत भी किडनी में संक्रमण का संकेत हो सकती है। इस तरह के लक्षण दिखने पर माता- पिता को बच्चों की तुरंत जांच कराना चाहिए।

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