ग्वालियर। पति से तलाक होने के बाद डिप्रेशन में थी बैंक पीओ (प्रोबेशनरी ऑफिसर), अक्सर खामोश रहती थी। उसने बुधवार सुबह हंसते हुए पिता और मां को गुड मॉर्निंग बोला। सभी को लगा वह धीरे-धीरे सामन्य हो रही है। पिता के कॉलेज जाते ही मां को किचन में भेजकर उसने सीढियों की रेलिंग पर फांसी लगा ली।
घटना ग्वालियर के विश्वविद्यालय थाना क्षेत्र के पंत नगर की है। जब मां ने उसे फंदे पर लटका देखा तो किसी तरह उतारा और हॉस्पिटल ले गई। जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। अस्पताल की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने शव को निगरानी में लेकर पोस्टमार्टम कराया है। फिलहाल मर्ग कायम कर जांच की जा रही है। पुलिस ने घटना स्थल से लेकर मृतका का रूम सर्च किया है, पर कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। विश्वविद्यालय थानाक्षेत्र स्थित पंत नगर निवासी पीआर पांडेय एमएलबी कॉलेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर हैं। उनकी इकलौती बेटी कीर्ति पांडेय (26वर्ष) स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की जेएएच ब्रांच में प्रोबेशनरी ऑफिसर है।
कीर्ति की शादी वर्ष 2016 में दिल्ली निवासी अंकुर पंत के साथ हुई थी। अंकुर भी बैंक पीओ है, वह अभी दिल्ली में पदस्थ है। शादी के एक महीने बाद ही विवाद के चलते कीर्ति अपने पिता के पास वापस आ गई थी। दोनों के तलाक का मामला वर्ष 2018 में निपटा है। इसमें कीर्ति व अंकुर ने अलग होने का फैसला लिया, पर पति से तलाक के बाद वह काफी तनाव में रहने लगी थी। अक्सर खामोश रहती थी। प्रोफेसर पिता को उसकी काफी चिंता रहती थी, इसलिए वह उसका खास ख्याल रखते थे। बुधवार सुबह कीर्ति ने नींद से जागने के बाद मां-पिता को हंसते हुए गुड मॉर्निंग कहा। उसका यह बदला स्वरूप देखकर पिता को लगा कि धीरे-धीरे बेटी की जिंदगी पटरी पर आ रही है। करीब 10 बजे वह कॉलेज के लिए निकल गए।
कीर्ति ने मां को किचन में नाश्ता बनाने भेजा। उसने भी नहाकर बैंक जाने की बात कही। पर 10 मिनट बाद जब उसकी मां भारती किचन से वापस आई तो देखा कि सीढियों की रेलिंग पर कीर्ति फांसी के फंदे पर लटकी हुई थी। उन्होंने शोर मचाया और आसपास के लोग एकत्रित हो गए। तत्काल फंदा काटकर उसे अस्पताल ले गई, पर उस समय तक बेटी की सांसे थम चुकी थीं। घटना के बाद कीर्ति के पिता ने बताया कि उनकी बेटी सभी से हंसती-बोलती थी। कभी किसी का दिल नहीं दुखाया। पर वर्ष 2018 में पति से तलाक के बाद उसकी जिंदगी बदल सी गई थी। वह परेशान व तनाव उसके चेहरे पर महसूस करने लगे थे। कई बार उसे समझाया पर शायद कहीं न कहीं कमी रह गई।