नई दिल्ली… भारत सरकार ने अप्रत्याशित कदम उठाते हुए दुनिया भर के 44 राजनयिक मिशनों के साथ तैनात अपने डिफेंस अताशे को स्वदेश बुलाया है। सोमवार से निर्यात में इजाफे के लिए डिफेंस इंडस्ट्री और सरकार के बीच तालमेल को लेकर मीटिंग्स होनी हैं, इनमें शामिल होने के लिए इन्हें बुलाया गया है। डिफेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमन ने सभी अताशे को डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग में तेजी लाने और ‘मेक इन इंडिया’ को प्रमोट के लिए संभावनाएं तलाशने के मकसद से स्वदेश बुलाया है। आमतौर पर मिलिट्री ऑफिसर्स के लिए अताशे के तौर पर भारतीय दूतावासों में तैनाती को आसान पोस्टिंग माना जाता रहा है। इन्हें सरकार और इंडस्ट्री के बीच बातचीत को सुनने और डिफेंस एक्सपोर्ट में तेजी लाने के लिए सुझाव देने को बुलाया गया है। डिफेंस एक्सपो के दौरान ये लोग मौजूद रहेंगे और सरकारी एवं निजी रक्ष कंपनियों के साथ बातचीत करेंगे। इसका लक्ष्य भारतीय रक्षा सामग्री के निर्यात में तेजी लाना होगा। बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी ‘मेक इन इंडिया’ स्कीम में डिफेंस सेक्टर को प्रमुखता दी गई है और इसके तहत मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ाने पर काम किया जा रहा है। डिफेंस सेक्टर में मैन्युफैक्चरिंग में बड़ी हिस्सेदारी सरकारी कंपनियों की ही है, लेकिन अब प्राइवेट प्लेयर्स का दखल भी इसमें तेजी से बढ़ रहा है।

विदेशों में तैनात डिप्लोमैट्स का अहम रोल
इस मीटिंग और अताशे को बुलाने की वजह दुनिया भर में भारत के डिफेंस एक्सपोर्ट के लिए नए बाजारों की तलाश करना है। परंपरागत तौर पर भारत को डिफेंस एक्सपोर्टर के तौर पर मान्यता नहीं दी जाती है। बीते कुछ महीनों में भारत में यूएई के प्रतिनिधिमंडल ने दौरा किया था, जिसने भारत में बनने वाले डिफेंस प्रॉडक्ट्स का मुआयना किया था, जिन्हें खरीदा जा सकता है।

अताशे अब खरीददारी में ही नहीं, बेचने में भी होंगे कड़ी
अब तक राजनयिक मिशनों में तैनात डिफेंस अताशे की भूमिका भारत के लिए विदेशों से खरीदे जाने वाले हथियारों की डील में ही होती थी। अब भारत चाहता है कि उनकी भूमिका का विस्तार डिफेंस एक्सपोर्ट में भी हो। इसके लिए अताशे की संख्या बढ़ाने पर भी विचार किया जा रहा है। बीते कुछ सालों में विदेशों में तैनात भारतीय राजनियकों ने आर्थिक और कमर्शल राजदूत के तौर पर भी अपनी भूमिका का विस्तार किया है। अब डिफेंस सेक्टर में खरीद और बिक्री में भी उनकी भूमिका का विस्तार होगा।

क्या होते हैं डिफेंस अताशे
भारतीय दूतावासों में में राजदूत के अलावा आर्थिक मामलों के लिए एक डिप्लोमैट की तैनाती की जाती है। इसी तरह भारत ने 44 राजनयिक मिशनों में डिफेंस सेक्टर के लिए एक डिप्लोमैट की नियुक्ति की है। इन्हें डिफेंस अताशे कहा जाता है। आमतौर पर इस पद पर मिलिट्री से जुड़े लोगों को ही तैनाती दी जाती है।

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