इंदौर ! प्रदेश में संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए बीते सालों में सरकार ने तमाम जतन किए हैं, लेकिन अब भी ग्रामीण क्षेत्रों में इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. दर्द से तडपडाती आदिवासी प्रसूता के लिए जब जननी एक्सप्रेस या एम्बुलेंस नहीं मिली तो उसे ट्रेक्टर से अस्पताल लाने लगे, इसी दौरान उसने बिटिया को जन्म दिया।
यह वाकिया आदिवासी बाहुल्य बडवानी जिले के सेंधवा के पास धनोरा का है। यहाँ से तीन किमी दूर आदिवासी फलिये (गाँव) चिंता फलिया में रहने वाले बासीराम की पत्नी रेखा बाई को प्रसव दर्द हो रहे थे। उन्होंने अस्पताल की जननी एक्सप्रेस के लिए फोन लगाया लेकिन वाहन उपलब्ध नहीं हो सका। उधर प्रसूता दर्द से बुरी तरह तडप रही थी तो वे गाँव के ही एक ट्रेक्टर ट्राली में खटिया डालकर रेखाबाई को उसमें धनोरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाने लगे। अभी वे थोड़ी ही दूर पंहुचे थे कि प्रसूता ने एक स्वस्थ बच्ची को ट्रेक्टर में ही जन्म दिया।
आखिरकार वे अस्पताल पंहुचे तब वहां कर्मचारियों की मीटिंग चल रही थी। बासीराम ने जब वस्तुस्थिति बताई तो डॉ अंशु वर्मा और स्टाफ नर्स ने प्रसूता व नवजात को ट्राली से उतारकर अस्पताल में भर्ती किया। फिलहाल जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं।

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