Mijajilal jain(Swatantr Patrakar)
भिण्ड। गणाचार्य विराग सागर महाराज, उपाध्याय दयाऋषि सागर महाराज के आशीर्वाद एवं राष्ट्रीय अतिथि मेडिटेशन गुरू विहसंत सागर महाराज, श्रमण मुनि विश्व सूर्य सागर महाराज, ऐलक विनियोग सागर महाराज के ससंघ सानिध्य में श्री 1008 आदिनाथ दिगम्बर जैन कुआं वाले मंदिर में 28 जनवरी से 5 फरवरी 2021 तक अकोढ़ा परिवार द्वारा श्री 1008 सिद्धचक्र महामंडल विधान का आयोजन प्रतिष्ठाचार्य पं. संदीप शास्त्री के निर्देशन में 31 जनवरी, रविवार को प्रातः काल भगवान का जिनाभिषेक, शांतिधारा पूजन का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर मेडिटेशन गुरू विहसंत सागर महाराज ने कहा कि जैन दर्शन में वीतराग भगवान ही पूज्य है जैन आगम ग्रंथों में ग्रहस्थों के लिए प्रारंभिक अवस्था में पूज्य पूजा पूजक और पूजा का फल का वर्णन किया गया है। पहले ये जाननाप जरूरी है कि पूज्य कौन है आप जानते है कि हमारे यहां वीतराग भगवान ही पूज्य है जो अरिहंत है, पंचपरमेष्ठी है। बढ़े बढ़े विद्वानांे ने हमसे प्रश्न पूछा कि महाराज आचार्य उपाध्याय साधु संतों को नमस्कार किया जाता है। तभी हमने कहा कि आचार्य साधु और उपाध्याय इन पदों से जो मोक्ष गये उनके लिये वह स्थान है उसमें भावलिंगी सभी समाहित होते है।
महाराज ने कहा कि मिथ्यादृष्टि जीव इस संसार में अनंतानंत है जिनका कोई अंत नही है और सासादन जो दूसरा गुण स्थान है उसकी संख्या 52 करोड़ है गुणस्थान वालों की संख्या एक सौ चार करोड़ है इधर देवी देवता पद्मावती आदि की पूजा करते है और अरिहंत भगवान की पूजा करते है।
सिद्धचक्र महामंडल विधान में भक्तों ने चड़ाये 64 अघ्र्य
श्री 1008 आदिनाथ दिगम्बर जैन कुआं वाले जैन मंदिर में मेडिटेशन गुरू विहसंत सागर महाराज, मुनि विश्वसूर्य सागर महाराज, ऐलक विनियोग सागर महाराज के ससंघ सानिध्य में श्री 1008 सिद्धचक्र महामंडल विधान में प्रतिष्ठाचार्य संदीप शास्त्री मेहगांव द्वारा विधि विधान से 64 अघ्र्य भक्ति के साथ सौधर्म इन्द्र इन्द्राणियों व कुबेर, यज्ञनायक आदि पात्रों ने विक्की एण्ड पार्टी भोपाल के मधुर भजनों के साथ भक्ति करते हुये विधान में शनिवार को 32 अघ्र्य चड़ाये गये।