ग्वालियर। मध्यप्रदेश में चल रहे व्यावसायिक परीक्षा मंडल के पीएमटी घोटाले में फंसे ग्वालियर की केन्द्रीय जेल में बंद ७१ आरोपियों ने भारत के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी सहित प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, सर्वोच्च न्यायालय , उच्च न्यायालय और मानव अधिकार आयोग को पत्र भेजकर इच्छा मृत्यु की मांग की है। हालांकि इसकी पुष्टि कोई भी उच्च अधिकारी नहीं कर रहा है, लेकिन गुप्तचर विभाग ने जरूर जानकारी एकत्रित कर राज्य शासन को जानकारी भेज दी है।
केन्द्रीय जेल में बंद इन आरोपियों के अविभावकों द्वारा सामूहिक रूप से भेजे गए पत्र में कहा है कि राष्ट्रपति या तो उन्हें जमानत दें या फिर इच्छा मृत्यु दी जाए। पत्र में इन आरोपियों ने प्रक्रिया में असामनता का आरोप भी लगाया है। पत्र में व्यापमं के आरोपियों ने कहा है कि प्रक्रिया में असामनता होने से वह लगभग एक वर्ष से जेल में बंद हैं। जबकि इन्हीं धाराओं और आरोपों में जबलपुर, भोपाल सहित अन्य स्थानों पर कुछ ही दिनों में सेशन एवं उच्च न्यायालय द्वारा जमानत की राहत दी गई है। इन आरोपियों में जो कि चिकित्सक भी है ने पत्र में कहा है कि सिर्फ मेमोरेंडम के आधार पर कोरे कागजों पर जबरन हस्ताक्षर कराकर एसआईटी ने उन्हें दोषी बनाकर पेश किया है, जबकि हकीकत में जो इस मामले में लिप्त थे, उन्हें छोड़ दिया गया है। पत्र में यह भी कहा गया है कि कई वृद्ध परिजन ऐसे भी हैं जो विकलांग हैं उन्हें भी व्यापमं मामले में इसी प्रकार से जबरन आरोपी बनाया गया है। एसआईटी टीम ने अपने पद व प्रभाव का गलत फायदा उठाकर जमकर उगाही की गई है। सीबीआई की जांच में यह सच उजागर हो सकता है। उधर केन्द्रीय जेल के अधीक्षक दिनेश नरगावे ने इस मामले में कोई भी अधिकारिक जानकारी नहीं होने की बात कही है। वहीं एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर इस खबर की पुष्टि करते हुए बताया कि हां ७१ आरोपियों के अभिभावकों द्वारा राष्ट्रपति को पत्र भेजा गया है।
इधर इस खबर के बाद राज्य शासन के इंटेलीजेंस विभाग सहित गृह व जेल विभाग के अधिकारी सक्रिय हो गये हैं और उन्होंने इसकी जानकारी एकत्रित कर राज्य शासन को भेज दी हैं, लेकिन वह इस संदर्भ में कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।