मध्य प्रदेश में चुनावी सरगर्मियां तेज होने लगी हैं. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के मंदसौर दौरे को पार्टी की तरफ से चुनावी बिगुल के तौर पर देखा जा रहा है. ऐसे में चुनावी गठजोड़ और रणनीतियों को लेकर भी अलग-अलग अटकलें लगाई जाने लगी हैं, जिनमें सबसे अहम मुद्दा कांग्रेस के मुख्यमंत्री चेहरे का है.

मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और सांसद कमलनाथ ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में इस सवाल का जवाब दिया. जब उनसे शिवराज सिंह के सामने पार्टी फेस के बारे में पूछा गया तो उन्होंने घुमाकर इसका जवाब दिया. कमलनाथ ने बताया कि परेशान किसान, बेरोजगार युवा, असुरक्षित महिलाएं और नाखुश व्यापारी हमारा चुनावी चेहरा होंगे.

हालांकि, उन्होंने अपने जवाब में ये भी कह दिया कि अगर चुनाव से पहले मुख्यमंत्री का चेहरा सामने लाने की जरूरत पड़ती है, तो इस पर पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी फैसला लेंगे. उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया समेत दूसरे नेताओं के बीच सबकुछ ठीक न होने के दावे को भी सिरे से नकार दिया.

गठबंधन के लिए बातचीत

बीजेपी के खिलाफ राज्य के छोटे दलों व अन्य दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने के सवाल पर भी कमलनाथ ने अपनी राय रखी. उन्होंने बताया कि हम ऐसे सभी दलों से बातचीत करेंगे. उन्होंने ये भी कहा कि बहुजन समाज पार्टी और दूसरे दलों से वह संपर्क में हैं, लेकिन अभी तक कुछ तय नहीं हो पाया है. हालांकि, बीएसपी कांग्रेस के लिए काफी निर्णायक साबित हो सकती है.

बीएसपी है अहम

मध्य प्रदेश के 2013 विधानसभा चुनाव के आंकड़ों को देखा जाए तो कुल 230 सीटों में से बीजेपी को 165 सीटें मिली थीं और उसका वोट प्रतिशत 44.88 था. वहीं, कांग्रेस को 36.38% वोट शेयर के साथ 58 सीटों पर जीत मिली थी. बसपा को हालांकि महज 4 सीटों पर जीत मिली थी, लेकिन उसका वोट प्रतिशत 6.43% रहा था.

इतना ही नहीं बीएसपी 11 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी. इन सभी सीटों पर बीएसपी उम्मीदवारों ने बीजेपी को कड़ी टक्कर दी थी. ऐसे में कांग्रेस और बसपा का गठजोड़ होने की स्थिति में बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ सकता है

बता दें कि मध्य प्रदेश में इस साल के आखिर में चुनाव में विधानसभा चुनाव होने हैं. यहां कांग्रेस प्रमुख विपक्षी दल है और कई बार सत्ता का स्वाद चख चुकी है. हालांकि, पिछले 14 साल से यहां बीजेपी का राज है. ऐसे में कांग्रेस किसान जैसे मुद्दों को उठाकर विपक्षी एकता के बूते सूबे की सत्ता के वनवास को खत्म करने की पुरजोर कोशिश में जुटी है.

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