भोपाल। मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर में जहां कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या सबसे ज्यादा है, जिला प्रशासन की बड़ी विफलता सामने आई है। जबलपुर में कर्फ्यू पूरी तरह से फेल हो गया। बाजार में भारी भीड़ देखी गई। यह किसी मेले जैसी थी। किसी भी संक्रमण को हजारों लोगों तक पहुंचने के लिए यह सबसे आसान था।

जबलपुर के प्रमुख बाजार बड़ा फुहारा-कमानिया गेट पर दिनांक 25 मार्च 2020 सुबह की स्थिति है। लोग खाने-पीने का सामान लेने इस तरह सड़कों पर निकल आये और जबलपुर प्रशासन गहरी नींद से जागा ही नहीं। चौंकाने वाली बात यह है कि केंद्र सरकार को इस बात का अंदेशा था कि लोग अचानक बाजार में निकलेंगे। भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा अपील जारी की गई। गाइडलाइन जारी हुई लेकिन जबलपुर में कुछ नहीं हुआ। यहां तक कि बाजार में भीड़ को अनुशासित करने के लिए ना तो कोई मजिस्ट्रेट तैनात था और ना ही पुलिस।

सरकार को सिर्फ जनता से कड़े अनुशासन की अपील नहीं करना चाहिए बल्कि सरकार और सरकार के अधिकारियों के आचरण में सख्त अनुशासन अनुशासन दिखाई देना चाहिए। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने दिनांक 24 मार्च को 21 दिन के लिए टोटल लॉक-डाउन की घोषणा की थी। रात 8.30 बजे से खबर आना शुरू हो गई थी कि लोग पैनिक हो गए हैं और राशन व दैनिक उपयोग की चीजें खरीदने के लिए भारी भीड़ सड़कों पर आ रही है। यह जबलपुर कलेक्टर की जिम्मेदारी थी कि वह अपने शहर में लोगों को समझाएं। उन्हें आश्वस्त करें और बाजार में अनुशासन बनाए रखें।

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