रायपुर। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी (Ajit Jogi) का आज दोपहर लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। बीते 9 मई को कार्डियक अरेस्ट के बाद उन्हें रायपुर के श्री नारायण अस्पताल में भर्ती किया गया था। इसके बाद से वे लगातार कोमा में थे। डॉक्टरों के अनुसार शुक्रवार दोपहर उन्हें फिर से कार्डियक अरेस्ट आया। डॉक्टरों के हरसंभव प्रयासों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका। जोगी ने करीब 3.30 बजे आखिरी सांस ली।

शनिवार को अंतिम संस्कार
अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी ने ट्विटर पर पूर्व सीएम की मौत की खबर की पुष्टि की। उन्होंने यह भी बताया कि अंतिम संस्कार शनिवार को अजीत जोगी के जन्मस्थान गोरैला में होगा।

सीएम बघेल, रमन सिंह ने जताया दुख
अजीत जोगी (Ajit Jogi) के निधन पर राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दुख जताया है। बघेल ने ट्विटर पर लिखा कि जोगी की मृत्यु प्रदेश के लिए बड़ी क्षति है।

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता रमन सिंह ने भी जोगी के निधन पर श्रद्धांजलि दी है। रमन ने जोगी के निधन को राज्य के लिए अपूरणीय क्षति बताया।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी जोगी के निधन पर अपनी संवेदना व्यक्त की है। नीतीश ने कहा कि जोगी का छत्तीसगढ़ के अलावा देश की राजनीति में भी बहुमूल्य योगदान रहा है। उनके निधन से राजनीतिक एवं सामाजिक क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है।

पूर्व सीएम अजीत जोगी का निधन, बेटा अमित बोला- मैंने ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ ने अपना पिता खोया है


जोगी को 9 मई को कार्डियक अरेस्ट के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पूर्व सीएम के स्टाफ ने बताया कि 9 मई को सुबह नाश्ता करते हुए जोगी को अचानक सीने में दर्द महसूस हुआ और सांस लेने में दिक्कत होने लगी। पत्नी रेणु जोगी इनके पास थीं और उन्होंने ही घर पर मौजूद स्टाफ को इसकी जानकारी दी। इसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया और स्थिति गंभीर होने के चलते वेंटिलेटर पर रखा गया था। पिता की तबियत खराब होने की सूचना मिलते ही बेटे अमित जोगी भी बिलासपुर पहुंच गए थे।


अलग छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद पहले मुख्यमंत्री बने जोगी अपने अंतिम समय में जेसीसी-जे पार्टी से जुड़े थे। उन्होंने खुद ही इस पार्टी का गठन किया था। हालांकि, इससे पहले उन्होंने कांग्रेस में लंबी पारी खेली। आईएएस की नौकरी छोड़ राजनीति में आए जोगी राज्य विधानसभा, लोकसभा, राज्यसभा और केंद्रीय कैबिनेट के सदस्य रहे। वे नवंबर 2000 से नवंबर 2003 तक छत्तीसगढ़ के गठन के बाद राज्य के पहले मुख्यमंत्री रहे।

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