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आयकर की छापेमारी के लिए दिल्ली से बुलाई गई सीआरपीएफ जवानों की टुकड़ी को चुनाव ड्यूटी के नाम पर भोपाल लाया गया। प्रदेश की खुफिया एजेंसी ने जब केंद्र से जानकारी चाही तो बताया गया कि चुनाव से जुड़े काम के लिए टुकड़ी को भेजा जा रहा है। केंद्र ने छापेमारी के दौरान स्थानीय पुलिस के बजाय सीआरपीएफ के जवानों का उपयोग किया। साथ ही मप्र, गोवा व दिल्ली के ठिकानों पर होने वाली छापेमारी को लेकर राज्य पुलिस को भ्रम में बनाए रखा। रविवार को कार्रवाई शुरू होने के बाद सही स्थिति का खुलासा हुआ।

कमलनाथ के करीबी माने जाने वाले राजेंद्र कुमार मिगलानी के दिल्ली में ग्रीन पार्क स्थित घर रविवार तड़के तीन बजे आयकर विभाग के अधिकारी पहुंच गए थे। तबसे देर रात तक अधिकारी घर की तलाशी लेने में जुटे रहे। मिगलानी दिल्ली में मौजूद नहीं हैं, लेकिन उनके परिवार के सभी सदस्य घर में ही मौजूद हैं, जिन्हें नजरबंद कर लिया गया। किसी को भी बाहर नहीं निकलने दिया गया। आयकर सर्वे में कितनी रकम मिली।
क्या-क्या दस्तावेज मिले इस बारे में देर रात तक आयकर अधिकारी कुछ भी बताने से इनकार कर दिया। सूत्रों के मुताबिक आयकर अधिकारियों ने उनके घर की तीनों मंजिलों की तलाशी ली। परिवार के सभी सदस्य घर के अंदर ही मौजूद रहे। आयकर अधिकारियों ने जांच के दौरान उनके घर के बाहर खड़ी दो गाड़ियों में रखे सभी कागजातों को भी कब्जे में ले लिया है। सर्वे के दौरान स्थानीय पुलिस उनके घर के बाहर सुरक्षा कारणों से दिनभर मौजूद रही। सर्वे कर रहे अधिकारियों के लिए कई बार बाहर से खाना पहुंचाया गया।
कमलनाथ के सरकारी बंगले में बैठते हैं मिगलानी : बताया जाता है कि मिगलानी कमलनाथ के एक तुगलक रोड स्थित बंगले में बैठते हैं, जो कमलनाथ का सरकारी बंगला है। सर्वे के दौरान आयकर विभाग के अधिकारी कुछ बक्से व नोट गिनने वाली मशीन भी लेकर जाते हुए देखे गए। घर के बाहर खड़ी गाड़ियों में एक पर्स मिला, जिसमें कुछ विदेशी मुद्रा व कुछ दस्तावेज मिले। इधर इंदौर में रविवार रात करीब 12.05 बजे दिल्ली आयकर की टीम कुछ सूटकेस लेकर कक्कड़ के घर घुसी। बताया जा रहा है कि इसमें नोट गिनने की मशीन हो सकती है।

बताया जा रहा है कि एनजीओ संचालक अश्विन शर्मा और प्रतीक जोशी साथ में काम करते हैं। इन दोनों का मिलनाजुलना प्रवीण कक्कड़ से भी है, दोनों आपस में रिश्तेदार भी बताए जाते हैं। जोशी के पास करोड़ों रुपए कहां से आए और किसके हैं? आयकर अफसर उससे यही सवाल बार-बार पूछ रहे हंै। नादिर कालोनी स्थित कक्कड़ के घर और प्लेटिनम प्लाजा में मौजूद जोशी-शर्मा के निवास व दफ्तर से मिले दस्तावेजों के बारे में भी पूछताछ की गई है। अश्विन लंबे समय से बड़े अधिकारियों के संपर्क में था। इन संपर्कों के बल पर उसने एनजीओ के लिए खूब अनुदान लिया। उसके भाजपा के भी कुछ नेताओं से संबंध थे। महंगी गाड़ियों और हथियारों का शौकीन अश्विन विलासितापूर्ण जीवन जीने का आदी है। उसके पास कई कारें हैं।

प्रवीण कक्कड़ पर हुई कार्रवाई की कमान दिल्ली आयकर के डायरेक्टर इंवेस्टिगेशन हरीश कुमार ने संभाल रखी है। आयकर विभाग के सूत्रों के अनुसार इंदौर आयकर में पदस्थ एक वरिष्ठ अधिकारी से कक्कड़ के नजदीकी संबंध हैं। ऐसे में कार्रवाई की गोपनीयता भंग होने और प्रभावित होने का डर था। लिहाजा दिल्ली आयकर के अधिकारियों ने न तो स्थानीय आयकर विभाग को इसकी भनक लगने दी न ही कार्रवाई में शामिल किया। शाम को स्थानीय आयकर विभाग से संपर्क कर वैल्युएशन करने के लिए विशेषज्ञों की मांग की। इसके बाद रजिस्टर्ड व्यक्तियों को स्थानीय अधिकारियों ने कक्कड़ के घर से बरामद गहनों और कीमती वस्तुओं की कीमत आंकने के लिए भेजा।

आयकर की कार्रवाई के दौरान रविवार दोपहर प्रवीण कक्कड़ के घर पर कुछ मेहमान पहुंचे। शादी के कार्ड लेकर पहुंचे दंपती को सीआरपीएफ के जवानों ने मुख्य द्वार के अंदर तो आने दिया, लेकिन पोर्च में ही रोक दिया गया। वहां आयकर के अधिकारियों ने कुछ बात की और बिना कॉर्ड लिए ही उन्हें लौटा दिया। अफसरों ने उन्हें कक्कड़ परिवार से भी नहीं मिलवाया। कार्रवाई शुरू होने के बाद तड़के 5 बजे स्थानीय पुलिस को सूचना मिली कि कक्कड़ के घर पर कोई विवाद हुआ है। इसके बाद भारी फोर्स वहां पहुंचाया गया। हालांकि सीआरपीएफ जवान पूरी तैयारी से थे उन्होंने स्थानीय पुलिस को लौटा दिया। सूत्रों के मुताबिक एक पुलिस अधिकारी जिन्हें कक्कड़ की सिफारिश पर ही स्थानीय पोस्टिंग मिली थी। उन्होंने कार्रवाई प्रभावित करने के लिए हंगामे का फर्जी पाइंट चलाया था।

अगस्ता केस में गिरफ्तार बिचौलिए राजीव सक्सेना ने सरकारी गवाह बनने के बाद कोर्ट को बताया था कि अगस्ता डील का कुछ पैसा रतुल पुरी और दीपक पुरी के बैंक एकाउंट में आया था। इसके बाद दोनों से पूछताछ हुई थी। कमलनाथ के बहनोई दीपक पुरी के नोएडा के मोजर बेयर के प्लांट में भी छापेमारी की गई। यहां से कुछ दस्तावेज जब्त किए गए हैं। प्लांट के कर्मचारियों के मुताबिक मोजर बेयर के नोएडा और ग्रेटर नोएडा के दोनों प्लांट 2012 और 2017 में एक साजिश के तहत खुद को दीवालिया घोषित कर बंद कर दिए गए। तीन हजार लोगों की नौकरी चली गई और उनका फंड कुछ मुखौटा कंपनियों में ट्रांसफर कर दिया गया। कर्मचारियों ने दिल्ली की आर्थिक अपराध शाखा में दीपक पुरी, उनके बेटे रतुल पुरी, पत्नी नीता पुरी और बेटी के खिलाफ धोखाधड़ी की शिकायत दे रखी है।

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