बीजिंग (प्रेट्र)। चीन कई देशों की सरकारों के लिए करेंसी नोट की छपाई कर रहा है। इन देशों में नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश, मलेशिया और ब्राजील शामिल हैं। सरकारी बैंकनोट प्रिंटर के शीर्ष अधिकारी के हवाले से चीन की मीडिया ने खबर दी है। चीन के बैंकनोट प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कारपोरेशन के चेयरमैन लिउ गुइशेंग ने मई में चीन के सेंट्रल बैंक की पत्रिका में एक लेख लिखा था। उन्होंने लिखा था कि चीन ने 2015 में नेपाल से पहला अंतरराष्ट्रीय कमर्शियल ऑर्डर हासिल किया था। यह आर्डर नेपाली मुद्रा छापने के लिए था। सरकारी फर्म ने नेपाल के 100 रुपये, 1000 रुपये और पांच रुपये के नोट छापने का ठेका हासिल किया था।

लिउ ने कहा है कि इसके बाद से कंपनी ने थाइलैंड, बांग्लादेश, श्रीलंका, मलेशिया, ब्राजील और पोलैंड सहित कई देशों से करेंसी प्रोडक्शन का ठेका सफलता पूर्वक हासिल किया है। हांगकांग से प्रकाशित होने वाले साउथ चाइना मार्निंग पोस्ट ने कहा है कि चाइना बैंकनोट प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कारपोरेशन ने पुष्टि की है कि देश भर के प्रोडक्शन प्लांट पूरी क्षमता से काम कर रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि सबसे ज्यादा मांग बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के भागीदारों से आ रही है।
2013 में शुरू हुई बेल्ट एंड रोड योजना

गौरतलब है कि वर्ष 2013 में बेल्ट एंड रोड योजना शुरू होने के बाद बाहरी देशों से चीन को अच्छा-खासा ऑर्डर मिल रहा है। इस योजना के तहत चीन दक्षिण-पूर्व एशिया, मध्य एशिया, खाड़ी, अफ्रीका और यूरोप के जमीनी और समुद्री रूटों को जोड़कर एक विशाल नेटवर्क खड़ा कर रहा है। इस योजना की शुरुआत के बाद चीन को इन देशों से नोटों की छपाई का ऑर्डर मिलना शुरू हो गया। चीन अब थाइलैंड, बांग्लादेश, श्रीलंका, मलेशिया, भारत, ब्राजील और पोलैंड में करेंसी उत्पादन के कई प्रोजेक्ट चला रहा है। हालांकि कुछ देशों ने तो चीन से आग्रह किया था कि करेंसी छपाई के ऑर्डर की बात सार्वजनिक न करें, क्योंकि इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पैदा हो सकता है या फिर बेवजह विवाद पनप सकता है।
चीन को मिला करेंसी छपाई का मौका

ल्यू गिशेंग ने एक बयान में कहा, दुनिया की आर्थिकी में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। चीन जैसे-जैसे सशक्त होता जाएगा, वह पश्चिम के मूल्यों को चुनौती देना शुरू करेगा। इस दिशा में विदेशी नोट छापना एक अहम कदम होगा। बता दें कि पिछले एक सदी में करेंसी नोटों की छपाई में पश्चिमी देशों का दबदबा रहा है, लेकिन चीन को भी इसका मौका मिलना यह दिखाता है कि उसका दुनिया की अर्थव्यवस्था पर खासा प्रभाव पड़ रहा है।

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