भोपाल । केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने गुरुवार को यहां वन विभाग की गतिविधियों की समीक्षा के दौरान कहा कि विकास के परिणाम स्वरूप जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के समाधान के लिये पूरी दुनिया एकजुट होकर कार्य-योजना बना रही है। दुनिया को इस समस्या से उबारने में वनों की महत्वपूर्ण भूमिका है।
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि वन अधिकारियों को ईश्वरीय कार्य के साथ जुड़ने का मौका मिला है। वे रूटीन कामों के साथ ही ऐसे नवाचार भी करें जो देश और दुनिया में मिसाल बनें। उन्होंने कहा कि भारत में घने एवं स्वस्थ जंगल, नदी, हवा-पानी और संवेदनशील भाव विरासत में मिले हैं। अब हमारा कर्त्तव्य है कि भावी पीढ़ी को स्वस्थ और स्वच्छ प्राकृतिक विरासत सौंपें। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि पृथ्वी के तापमान में इसी तरह वृद्धि जारी रही तो प्राणियों का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा।
डॉ. हर्षवर्धन ने मध्यप्रदेश में विगत 2 जुलाई 2017 को 7 करोड़ से अधिक पौधारोपण की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह अच्छी बात है कि 90 प्रतिशत से अधिक पौधे जीवित अवस्था में हैं। उन्होंने दूरस्थ अंचलों में वन विभाग द्वारा संचालित दीनदयाल योजना की भी सराहना की। उन्होंने वन अधिकारियों से कहा कि प्रयोगशाला और मैदानी कार्य का सम्मिश्रण करते हुए असाधारण लक्ष्य बनायें और उस पर काम करें।
शिशु-मातृ मृत्यु दर और मलेरिया में कमी आई
वन मंत्री डॉ. शेजवार ने बताया कि दूरस्थ अंचलों में निवासरत लोगों की शिक्षा और स्वास्थ्य के लिये अक्टूबर 2016 से आरंभ की गई दीनदयाल वनांचल सेवा योजना के अच्छे परिणाम मिलने लगे हैं। इसमें स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला एवं बाल-विकास और आदिम जाति कल्याण विभाग को जोड़ा गया है। ऐसे इलाकों में जहां इन विभागों के लोग नहीं पहुंच पाते, वहां वन कर्मियो की सहायता से टीकाकरण, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि के कार्य करने से लोगों की स्थिति में काफी सुधार आया है। दीनदयाल वनांचल सेवा से हरदा, होशंगाबाद और बैतूल जिले में शत-प्रतिशत गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण हुआ है और मलेरिया से होने वाली मृत्यु लगभग शून्य हो गई है। शिक्षा में सहायता से दूरस्थ अंचलों के बच्चों के शिक्षा परिणाम में भी सुधार हुआ है। डॉ. शेजवार ने डॉ. हर्षवर्धन को योजना का ब्रोशर भेंट किया।
बिजली लाइनों का होगा इन्सुलेशन
प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) जितेन्द्र अग्रवाल ने केन्द्रीय मंत्री के समक्ष बाघों को करंट से बचाने के लिये 1200 करोड़ रुपये की मांग को दोहराया। अग्रवाल ने कहा कि यदि केन्द्र से यह राशि मिल जाती है तो बिजली की लाइनों का इन्सुलेशन करवाया जायेगा। इससे शिकारी करंट लगाकर बाघ एवं अन्य वन्य प्राणियों का शिकार नहीं कर सकेंगे।
डॉ. हर्षवर्धन ने बैठक में मध्यप्रदेश के वनों के घनत्व, वृक्षावरण, कार्य आयोजना, केन्द्र प्रवर्तित योजनाओं, नवाचार, कैम्पा फंड, वृक्षारोपण, ग्रीन इंडिया मिशन, वन एवं वन्य प्राणी संरक्षण, संयुक्त वन प्रबंधन, वन्य प्राणी प्रबंधन, सूचना प्रौद्योगिकी, वन अधिकारों की मान्यता अधिनियम, राज्य लघु वनोपज संघ, राज्य वन विकास निगम आदि की समीक्षा की। अपर मुख्य सचिव दीपक खांडेकर, प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख डॉ. अनिमेष शुक्ला, वन विकास निगम के प्रबंध संचालक रवि श्रीवास्तव, राज्य लघुवनोपज संघ के प्रबंध संचालक जव्वाद हसन सहित वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी बैठक में उपस्थित थे।