भोपाल। मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने कहा है कि ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में किये गये एमओयू के क्रियान्वयन से संबंधित सारे कार्य प्रो-एक्टिव होकर निश्चित समय-सीमा में पूरे किये जाये। आयोजन के माध्यम से मध्यप्रदेश की देश और दुनिया में जो साख बनी है, वह पूरी मध्यप्रदेश टीम की पूँजी है, इसे और बढ़ायें। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने आज यहाँ समीक्षा बैठक में निर्देश दिये कि निवेशकों को किसी भी स्तर पर कोई दिक्कत नहीं आना सुनिश्चित किया जाये।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के माध्यम से प्रदेश में नया उत्साह पैदा हुआ है और आम आदमी को भी उम्मीद बनी है कि तेजी से औद्योगिक विकास होगा और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। उन्होंने निर्देश दिये कि नयी नीतियों से संबंधित सभी नोटिफिकेशन पन्द्रह दिन में हो जाये। जिन जिलों में उद्योगों के लिये जमीन चिन्हित है वहाँ पानी, बिजली तथा अन्य सुविधाएँ उपलब्ध करवाने की विस्तृत योजना बनाये। साथ ही जिन ग्यारह जिलों में जमीनें चिन्हित नहीं की गयी हैं, वहाँ उद्योगों के लिये जमीन चिन्हित करने को प्राथमिकता दें। निवेशकों को एमओयू के बाद जितनी भी स्वीकृतियाँ दी जाना है, वे तीन माह के भीतर हो जाये।
कोर इन्वेस्टमेंट सेल का गठन होगा
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि ट्रायफेक में कोर इन्वेस्टमेंट सेल का गठन दो माह के भीतर करें। निवेशक सेवा गारंटी योजना का व्यवहारिक स्वरूप शीघ्र तैयार करें। अगले दो माह में निवेश प्रस्तावों की ऑनलाइन मानीटरिंग की व्यवस्था सुनिश्चित करें। एम पी डेवलपमेंट फोरम का गठन पन्द्रह दिन के भीतर कर लिया जाये। क्रियान्वयन प्रक्रिया में विक्रेन्दीकरण का कार्य सभी विभागों में पन्द्रह दिन के भीतर किया जाये। उन्होंने छोटे निवेशकों के लिये संभागीय स्तर पर सम्मेलन आयोजित किये जाने की योजना बनाने को कहा। प्रदेश में युवा उद्यमी तैयार होने से अर्थ-व्यवस्था में महत्वपूर्ण परिवर्तन होंगे।
एम.ओ.यू. क्रियान्वयन की कार्य योजना
बैठक में बताया गया कि ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में प्राप्त निवेश प्रस्तावों के समयबद्ध क्रियान्वयन के लिये कार्य योजना बनायी गयी है। प्रक्रिया में सुधार और सरलीकरण के लिये काम शुरू कर दिया गया है। प्रत्येक संबंधित विभाग एमओयू के क्रियान्वयन की कार्य योजना अगले सात दिन में बनायेगा। तीन माह की समय-सीमा में भूमि, जल, विद्युत और अन्य सुविधाएँ सुनिश्चित करेगा। हर विभाग में एक नोडल आफिसर बनाया जायेगा। साथ ही सेक्टरवाइस इन्वेस्टमेंट सेंट्रल रिलेशन मैनेजर रखे जायेंगे। निवेश प्रस्तावों की ऑनलाइन मानीटरिंग के लिये साफ्टवेयर डेव्हलप किया जायेगा। इसके तहत प्रत्येक निवेशक को एक यूनिक आईडी दिया जायेगा। निवेशकों की कठिनाइयों को समय-सीमा में निराकृत करने के लिये शिकायत निवारण प्रकोष्ठ बनाया जायेगा। हेल्थ केयर तथा स्किल डेवलपमेंट के लिये अलग से जमीन चिन्हित की जायेगी। बताया गया कि वर्तमान में प्रदेश के 39 जिलों में उद्योगों के लिये 20 हजार हेक्टेयर भूमि चिन्हित की गयी है। बैठक में मुख्य सचिव श्री आर.परशुराम, अपर मुख्य सचिव श्री पी.के. दाश, श्री अंटोनी जे.सी. डिसा, श्री एम.एम. उपाध्याय और श्रीमती अजिता वाजपेयी पाण्डे सहित संबंधित विभाग के प्रमुख सचिव उपस्थित थे।