अपने कामकाज के पहले ही दिन बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के नए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने एक जनहित (पीआईएल) याचिका खारिज कर दी। यह याचिका में भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने चुनाव सुधारों को लेकर दाखिल की थी। अपनी याचिका में उपाध्याय ने चुनावी खर्च का ब्योरा देने की अवधि घटाए जाने की मांग की थी। उन्होंने चुनाव हारने वाले उम्मीदवार को भी चुनावी खर्च का ब्योरा दिए जाने की मांग की थी।
साथ ही उपाध्याय ने केंद्र सरकार को चुनावी याचिकाओं के जल्द निपटारे, हाईकोर्ट में ऐसे मामलों की सुनवाई छह महीने या साल में पूरी करने के लिए अतिरिक्त जजों की नियुक्ति के निर्देश दिए जाने की मांग की थी। चीफ जस्टिस गोगोई, जस्टिस एसके कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने कहा कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। दरअसल, जब सुनवाई हो रही थी, तब चीफ जस्टिस गोगोई ने उपाध्याय के अपने वकील को कुछ बताने पर नाराजगी जाहिर की।
चीफ जस्टिस ने कहा कि खुद आप याचिकाकर्ता हैं और वकील की ड्रेस पहनकर अपने वकील को समझा रहे हैं। आप ऐसा कैसे कर सकते हैं? क्या यही डोकेरम है? आपकी याचिका इसी आधार पर खारिज की जाती है। इसके बाद वकील और भाजपा नेता उपाध्याय ने शीर्ष अदालत से अपनी याचिका वापस लेने का आग्रह किया।