नई दिल्ली. अब पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने मोदी सरकार को आड़े हाथ लिया है। शौरी ने कहा कि आप भले ही नोटबंदी को साहसिक कदम बताएं लेकिन ये खुदकुशी करने जैसा मामला है। केंद्र सरकार को फिलहाल ढाई लोग चला रहे हैं। हाल ही में पूर्व फाइनेंस मिनिस्टर यशवंत सिन्हा ने कहा था कि इकोनॉमी में तो पहले से ही गिरावट आ रही थी, नोटबंदी ने तो सिर्फ आग में घी का काम किया। सरकार का केवल खुलासों पर जोर है…
– न्यूज एजेंसी के मुताबिक शौरी ने एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा, “सरकार का केवल नए खुलासों (इलहाम) पर जोर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक रात को कहा कि नोटबंदी होनी चाहिए। ये एक साहसिक कदम था। ये ध्यान रखिए कि खुदकुशी करना भी एक साहसी कदम होता है।” मोदी ने 8 नवंबर को 500-1000 के पुराने नोट बंद करने का एलान किया था।
– शौरी कहते हैं, “सरकार ने नोटबंदी के समर्थन में जो तर्क दिए, क्या आज भी वो जिंदा हैं? क्या ब्लैक मनी पूरी तरह से व्हाइट हो गई? आतंकी आज भी भारत आ रहे हैं। आज सरकार के पास कुछ भी कहने को नहीं है।”
– अमित शाह ने तकनीकी कारणों को मौजूदा मंदी की वजह बताई थी। शौरी ने कहा कि शाह क्या मशहूर इकोनॉमिस्ट हैं? आप सरकारी आंकड़ों को बहुत देर तक छिपाकर नहीं रख सकते।
– “जो सरकार चला रहे हैं वे कोई भी सच या सलाह सुनना नहीं चाहते।”
ये ढाई लोगों की सरकार
– शौरी ने कहा, “ये महज ढाई लोगों की सरकार है। एक नरेंद्र मोदी, दूसरे अमित शाह और तीसरे घर के वकील हैं। ये लोग कोई खास काबिलियत नहीं रखते। इनके आसपास जो लोग भी हैं, उनके पास भी महारत नहीं है।”
– “ये लोग एक बंद कमरे में बैठे हुए हैं। बाहर क्या हो रहा है, ये इन्हें सुनाई नहीं देता। आरबीआई ने छोटे-मझोले कारोबारियों को संकट में डाल दिया।”
– “यशवंत सिन्हा, पी. चिदंबरम और दूसरे इकोनॉमिस्ट लगातार बोल रहे हैं। इकोनॉमिक सर्वे, आरबीआई सर्वे में भी सच सामने आया है। जीडीपी लुढ़ककर 3.7 पर आ गई है। 2015-16 में जो इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन 9% था, जो इस साल अप्रैल-जुलाई में घटकर सिर्फ 1.7% रह गया। ये चिंता की बात है।”
क्या बोले थे यशवंत सिन्हा?
– यशवंत ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में आर्टिकल लिखा था। इसके मुताबिक, “निजी क्षेत्र में निवेश लगातार कम हो रहा है। इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन करीब-करीब खत्म हो चुका है। एग्रीकल्चर-कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री की हालत भी ठीक नहीं कही जा सकती। सर्विस सेक्टर में धीमा ग्रोथ रेट है। एक्सपोर्ट कम होने का असर इकोनॉमी पर साफ देखा जा सकता सकता है।”
– “नोटबंदी सबसे बड़ा इकोनॉमिक डिजास्टर साबित हुई। जीएसटी को गलत तरीके से लागू किया गया। इसका बिजनेस पर काफी बुरा असर पड़ा। लाखों लोग बेरोजगार हो गए। बाजार में नौकरियों के नए मौके नहीं हैं।”(पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
– “बीती दो तिमाही में ग्रोथ रेट गिर रही है। मौजूदा वक्त में ग्रोथ रेट 5.7 तक पहुंच गई है। ये बीते 3 साल में सबसे कम है। सरकार के स्पोक्सपर्सन का कहना है कि इकोनॉमी में गिरावट की वजह नोटबंदी नहीं है। वे सही बोल रहे हैं। गिरावट तो पहले ही आनी शुरू हो गई थी। नोटबंदी ने तो केवल आग में घी काम किया है।”
– सिन्हा ने यह भी कहा कि इकोनॉमी को रफ्तार देने में वक्त लगता है, पर उसे आसानी से तबाह किया जा सकता है। 90 के दशक और 2000 के समय में अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में करीब 4 साल लगे थे। किसी के पास जादू की छड़ी नहीं है, जो वह घुमाए और रातों-रात इकोनॉमी पटरी पर लौट आए। अगले लोकसभा चुनाव तक इकोनॉमी में रफ्तार की उम्मीद नहीं की जा सकती है।”
यशवंत के बेटे ने नोटबंदी, जीएसटी को बताया गेमचेंजर
– यशवंत के बेटे जयंत ने भी एक आर्टिकल में लिखा कि जीएसटी, नोटबंदी और डिजिटल पेमेंट जैसी पॉलिसीज इकोनॉमी के लिए गेम चेंजर साबित हुई हैं। बीते एक या दो क्वार्टर में जो जीडीपी ग्रोथ दिखाई गई है, वो आने वाले दिनों में पड़ने वाले असर को ठीक से नहीं दिखाती। जयंत केंद्र सरकार में राज्य मंत्री हैं।
– “स्ट्रक्चरल रिफॉर्म्स न्यू इंडिया के लिए जरूरी हैं। इससे करोड़ों लोगों को नौकरियां मिलेंगी। नई इकोनॉमी ज्यादा ट्रांसपेरेंट, इनोवेटिव और दुनिया की कीमतों से टक्कर लेने वाली होगी। नई इकोनॉमी में हर शख्स को अपनी जिंदगी बेहतर बनाने का मौका मिलेगा। भारत के विकास की कहानी अब स्टार्टअप में दिखाई देती है। IIT के हॉस्टल्स से ही 400 नए स्टार्टअप शुरू हो चुके हैं।” (पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
– “फर्स्ट जेनरेशन (1991), सेकंड जेनरेशन (1999-2004) में जितने स्ट्रक्चरल रिफॉर्म्स हुए, उससे कहीं ज्यादा थर्ड जेनरेशन यानी 2014 के बाद से हो चुके हैं। हमने लोगों की जिंदगी और बेहतर करने की कोशिश की है।”
क्या बोले थे जेटली?
– जेटली ने 28 सितंबर को इशारों में कहा था, “किसी को 80 साल की उम्र में नौकरी की तलाश है। वो अब अपना रिकॉर्ड चेक कर लें।” सिन्हा ने इसके जवाब में 29 सितंबर को कहा, “अगर मैं नौकरी चाहता तो वे (जेटली) इस जगह ना होते।” सिन्हा ने ये भी कहा, “जेटली ने घटिया कमेंट किया है, ये इतना घटिया है कि इसका जवाब देना मेरी शान के खिलाफ है। मेरे काम की आलोचना करके जेटली ने उस वक्त के पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की आलोचना की है, जिन्होंने मुझे प्रमुख मंत्रालय सौंपे थे।”