भोपाल। सड़क सुरक्षा विषय पर सुप्रीम कोर्ट की सड़क सुरक्षा समिति की लीड एजेन्सी पीटीआरआई द्वारा आज एक-दिवसीय वर्चुअल ट्रेनिंग यातायात के अधिकारी/कर्मचारी को दी गई, जिसमें आरक्षक, प्रधान आरक्षक, उप निरीक्षक, सूबेदार स्तर के प्रशिक्षाणार्थी जिला बल से शामिल हुए। प्रशिक्षण के प्रथम सत्र में अति. पुलिस महानिदेशक पीटीआरआई द्वारा सड़क सुरक्षा के संबंध में सुप्रीम कोर्ट कमेटी द्वारा दिये गये दिशा-निर्देशों के संबंध में संवेदनशीलता से अवगत कराया गया। इन्हें क्रेश इंवेस्टिगेशन ब्लैकस्पॉट, सड़क दुर्घटना के विभिन्न कारणों के विषय के बारे में जानकारी दी गई।

प्रशिक्षणार्थियों से भी उनके दृष्टिकोण में सड़क दुर्घटना के विभिन्न कारणों के विषय में जानकारी प्राप्त करने के लिये प्रश्न किये गये, जिसका जवाब उन्होंने संवेदनशीलता से दिया। अधिकांश लोगों का कहना था कि सड़क दुर्घटना में प्रमुख कारण रोड या मोड़ की गलत संरचना (इंजीनियरिंग) और ट्रेफिक के नियमों का पालन नहीं करना है। कुछ का यह भी कहना था कि वाहन का गलत दिशा में ओवरटेक, वाहन वाहन चलाते वक्त मोबाइल पर बात करना और हेलमेट न पहनना शराब का सेवन कर गाड़ी चलाना ओवरलोडिंग, गाड़ी की फिटनेस खराब होना आदि सड़क दुर्घटना को आमंत्रण देने के लिये प्रमुख कारण हैं।

जिला विदिशा से सूबेदार नरेन्द्र त्रिपाठी और उनकी टीम, जिला शाजापुर से आरक्षक अशोक को सड़क दुर्घटना के कारणों के संबंध में सटीक जानकारी देने पर ईनाम का हकदार बनाया गया, जिलों में घटित सड़क दुर्घटना एवं उसमे होने वाली मृतक संख्या एवं घायलों की संख्या की वर्ष 2019-20 की तुलनात्मक स्थिति से अवगत कराया गया, जिनके परिणाम उत्कृष्ट थे उनकी हौसला अफजाई की गई, जो सड़क दुर्घटना को कम करने के लक्ष्यों को प्राप्त न कर सके उन्हे सुधार के लिये प्रोत्साहित किया गया। साथ ही समझाइश दी गई कि सड़क दुर्घटना को कम करने की दिशा में वे अकेले नही है, नोडल एजेन्सी उनके साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर काम करेगी। वे उनसे समन्वय बनाकर दुर्घटना से संबंधित कारणो को वैज्ञानिक व तकनीकी दृष्टि से सही करवायें। यदि ब्लैकस्पॉट बनता है तो उसके निराकरण के लिये संबंधित नोडल विभाग से सतत् सम्पर्क रखते हुए कार्यवाही सुनिश्चित करवाने का प्रयास अपने वरिष्ठ अधिकारी के माध्यम से करे।

प्रशिक्षणार्थियों को जिला सड़क सुरक्षा समिति से अवगत कराया गया कि जिसके अध्यक्ष सांसद सदस्य, विधायक, सदस्य सचिव, संबंधित जिले का जिला कलेक्टर एवं सदस्यों में पुलिस अधीक्षक तथा सभी विभागों के स्टेक होल्डर शामिल है, ये सब मिलकर सड़क सुरक्षा को एक हकीकत के रूप में परिवर्तन करने के लिये गंभीरता और निष्ठापूर्वक प्रयत्न करें।

जीवन सभी का अनमोल है, पुलिस का दायित्व देशभक्ति जन सेवा है और प्रशिक्षणार्थियों को बताया गया कि जन ही नही होगा तो सेवा किसकी। अतः जन सुरक्षित और दीर्घायु होना अत्यन्त आवश्यक है। जनता में यातायात के निमयों का पालन करने के लिये अभियान द्वारा जन-जागृति लाकर पहल करने की बात कही गई और यह अभियान निरंतर चलना चाहिये, जो अभियान सर्वोच्च न्यायालय की रोड सेफ्टी कमेटी द्वारा संचालित किये जाते है, उनको सभी जिलों के पुलिस अधिकारी/कर्मचारी निष्ठापूर्वक सम्पादित करें एवं उसकी रिपोर्ट निर्धारित प्रोफार्मा में लीड एजेंसी पीटीआरआई को भेंजे, जिससे रिपोर्ट को सभी जिलों से संग्रहित कर सर्वोच्च न्ययालय की कमेटी ऑन रोड सेफ्टी को समयबद्ध रूप से प्रेषित किया जा सके। अवगत कराया गया कि राज्य सड़क सुरक्षा क्रियान्वयन समिति की बैठक में अन्य व्यावसायिक मुद्दों के साथ-साथ सड़क सुरक्षा कोष में उपलब्ध राशि का आवंटन जिलों को सक्षम अधिकारी द्वारा किया जाना है, जिससे वो सड़क सुरक्षा से संबंधित आधुनिक उपकरण और अन्य व्यवस्थात्मक प्रबंध सुनिश्चित कर सकें।

सर्वोच्च न्यायालय की सड़क सुरक्षा समिति द्वारा मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 135 के अंतर्गत क्रेश इन्वेस्टिगेशन के विषय में प्रावधानिक निर्देशों को राजपत्र के रूप में प्रकाशित किये जाने की बात कही गई है, क्रेश इन्वेस्टिगेशन में जिस टीम को गंभीर सड़क दुर्घटना का अनुसंधान करना है, वो विभिन्न नोडल एजेन्सी जैसे परिवहन, पुलिस, पीडब्ल्यूडी आदि के अधिकारी अनुसंधान करेंगे और इसमें जिले के दण्डाधिकारी और पुलिस अधीक्षक आवश्यक रूप से क्रेश इन्वेस्टिगेशन में पर्यवेक्षण करेगें। (जहां गंभीर सड़क दुर्घटना से तात्पर्य सड़क दुर्घटना में तीन या तीन से अधिक व्यक्ति की मृत्यु होना है)।

वर्चुअल ट्रेनिंग के दूसरे सत्र में सेवानिवृत्त उप पुलिस अधीक्षक शरद दुबे द्वारा ”सड़क दुर्घटना के मामलों में विवेचक द्वारा अनुसंधान कैसे करें एवं विवेचना के दौरान क्या-क्या सावधानियां बरतनी चाहिये” के संबंध में प्रशिक्षण दिया गया। उपस्थितों को सड़क दुर्घटना के संबंध में विवेचना करने के मापदण्डो को जो सड़क दुर्घटना से संबंधित अपराध बनता है, उसके साक्ष्यों को बारीकी से एकत्रित करना, आरोपियों एवं साक्षियो से पूछताछ, वस्तु स्थिति को विवेचना में लाना और प्रकरण का चालान मजबूती से न्यायालय में प्रस्तुत करना।

वर्चुअल ट्रेनिंग लीड एजेन्सी पीटीआरआई की प्रशिक्षण शाखा द्वारा आयोजित कराई गई। ट्रेनिंग में ट्रेनिंग प्रभारी श्रीमती ज्योत्सना सिंह, उप निरीक्षक राखी मौर्य और पूजा त्रिपाठी उपस्थित थीं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *