भोपाल। भोपाल स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुख्यालय समिधा से पुलिस सुरक्षा हटाने का मामला गरमा गया है। दरअसल 2003 से बीजेपी सरकार बनने के बाद आर एस एस की इस मुख्यालय के ठीक सामने ही अस्थाई पुलिस चौकी बनाई गई थी जहां हमेशा पर्याप्त संख्या में पुलिस बल मौजूद रहता था और समिधा की सुरक्षा व्यवस्था देखने का काम करता था। 1 अप्रैल सोमवार को अचानक ही सुरक्षा व्यवस्था हटा ली गई और अस्थाई रूप से बनी पुलिस चौकी को भी वहां से हटा दिया गया।
जैसे ही आरएसएस मुख्यालय से पुलिस सुरक्षा व्यवस्था हटी कि इस पर राजनीति शुरू हो गई। नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने तो सीधे तौर पर सरकार को चेतावनी दे डाली यदि आर एस एस के किसी कार्यकर्ता के ऊपर किसी तरह की हिंसा हुई तो इसका जवाब भाजपा के लोग देंगे। भाजपा के विभिन्न पदाधिकारी भी सरकार के इस निर्णय को लेकर सरकार की खिंचाई करते नजर आए। लेकिन इन सब के बीच एक बड़ी बात यह हुई आरएसएस के धुर विरोधी माने जाने वाले भोपाल से कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह ने भी सरकार के इस निर्णय पर आपत्ति जताते हुए सुरक्षा व्यवस्था बहाल करने की मांग की।
अब सवाल यह है कि एन चुनाव के वक्त बैठे बिठाए आर एस एस मुख्यालय से सुरक्षा व्यवस्था हटाने का फैसला आखिर किसने लिया और कमलनाथ सरकार के खिलाफ एक बार फिर भाजपा को मोर्चा खोलने का मौका दे दिया। जाहिर सी बात है कि इतना बड़ा निर्णय मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक की जानकारी में लाए बिना तो लिया नहीं गया होगा और यदि उन्हें जानकारी नहीं थी तो फिर यह भी कि आखिर इस अधिकारी की इतनी हिम्मत हो गई कि इतने संवेदनशील मुद्दे पर डीजीपी तक को अंधेरे में रखा है।